पुणे न्यूज डेस्क: पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में इस बीमारी के कुल 163 मरीज हो चुके हैं, जिनमें से सबसे अधिक केस पुणे से सामने आए हैं। पड़ोसी जिलों में अब तक केवल आठ मरीज ही मिले हैं। हालांकि, मंगलवार को कोई नई मौत दर्ज नहीं हुई, लेकिन अब तक इस बीमारी से पांच लोगों की जान जा चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि हालात धीरे-धीरे बेहतर हो रहे हैं और डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की संख्या यह संकेत देती है कि सबसे बुरा दौर बीत चुका है।
दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में कार्यरत कंसल्टेंट इंटेंसिविस्ट डॉ. समीर जोग के अनुसार, उनके अस्पताल में भर्ती 36 मरीजों में से 16 को छुट्टी दे दी गई है। 20 जनवरी के आसपास, यह अस्पताल GBS मामलों में अचानक आई बढ़ोतरी की रिपोर्ट करने वाले पहले अस्पतालों में से एक था। उन्होंने बताया कि 15 से 19 जनवरी के बीच रोजाना तीन से चार नए मामले आ रहे थे, लेकिन 26 से 29 जनवरी के बीच यह संख्या घटकर लगभग एक रह गई। बीते तीन दिनों में कोई नया मरीज भर्ती नहीं हुआ है, जो हालात में सुधार का संकेत है।
डॉक्टरों के मुताबिक, अस्पतालों से डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। सोमवार तक कुल 47 मरीज स्वस्थ होकर घर जा चुके थे, जबकि पिछले दिन यह आंकड़ा 38 था। हालांकि, अभी भी 21 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। डॉ. जोग ने चेतावनी दी कि ऐहतियात बरतना बेहद जरूरी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पूरे शहर में स्वच्छ और क्लोरीनयुक्त पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके।
इस बीच, पूना अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कोठारी ने भी GBS मामलों में गिरावट की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि पहले हर दिन एक नया मामला सामने आता था, फिर यह संख्या घटकर दो से चार दिनों में एक हो गई। अब बीते एक हफ्ते में कोई नया मरीज भर्ती नहीं हुआ है। नोबल अस्पताल से जुड़े संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अमीत द्रविड़ ने भी कहा कि संक्रमण की रफ्तार धीमी हो रही है, जो दर्शाता है कि हालात जल्द सामान्य हो सकते हैं।