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पटना वोकल्स है पटना की आवाज़
कल का पाटलीपुत्र जो है आज का पटना, कहीं ना कही विवादों और आरोपों के बीच खो सा गया है। नालंदा विद्यापीठ की ये भूमि, जहां से पूरे विश्व को ज्ञान की प्राप्ति होती थी, आज वहां के टॉपर्स मज़ाक बन कर रह गए है। मौर्या वंश, चाणक्य और अशोक की ये भूमि जहाँ कभी राजनीती की नीव रखी गयी थी, आज गन्दी राजनीती के कारण अपना सम्मान खोती जा रही है। आध्यात्मिकता के ज्ञान से रौशन गौतम बुद्ध की ये भूमि, आज भोजपुरी सिनेमा की अश्लीलता पर शर्मसार है। पर क्या सच में बिहार इन ओछी बातों में सिमट कर रह गया है या इसे ऐसे पेश किया गया है। हम जानते है की पटना जो बिहार का दिल है आज भी उतना ही सामर्थ्य रखता है जितना पाटलीपुत्र में था। कभी किसी बिहारी से पूछ कर देखिये की उसके लिए छठ, सुपर ३०, गाँधी सेतु और लिट्टी चोखा क्या महत्व रखता है। पटना का हर व्यक्ति अपने दिलों में बिहार का गौरव लिए हुए है क्योंकि यहाँ की जनता जानती है की वो प्राचीन काल के आर्य भट्ट हो या आज के IAS अफसर, सभी इसी मिटटी के देन है।
पटना वोकल्स इसी पटना की जनता की आवाज है, क्योंकि हमारी टैग लाइन है of the locals, by the locals and for the locals। पटना वोकल्स का मंच आप को देश विदेश की महत्वपूर्ण खबरों के साथ साथ पटना के कोने कोने की जानकारी भी देगा । पटना का हर रहवासी पटना वोकल्स से जुड़ सकता है। यदि आप लेखक या ब्लॉगर है तो आप हमारी वेबसाइट के राइटर पेनल का हिस्सा बन सकते है और अपने गांव, शहर और देश से जुड़े हर मामले पर अपने स्वतंत्र विचार व्यक्त कर सकते है। लेखक और ब्लॉगर के अलावा पटना का हर जागृत नागरिक वेबसाइट पर दिए हुए 'मेरा गांव मेरा देश सेक्शन' के ज़रिये अपने गांव और शहर से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं व समस्याओं को अपनी रिपोर्ट के जरिए हम तक पहुंचा सकता है।
पटना वोकल्स लोकल व्यापारियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगा जहां लोकल दुकानदार आर्टिकल, फोटो और वीडियो के जरिए अपनी दुकान या व्यवसाय का प्रचार कर सकता है और अपने ग्राहक भाइयों के और क़रीब आ कर उनका विश्वास जीत सकता है ।
पटना वोकल्स माननीय प्रधान मंत्री जी के 'वोकल फॉर लोकल्स' पहल का एक जीता जागता उदाहरण है, जो पटना के लोगों को एक दूसरे के और करीब ले आएगा, क्योंकि ये है पटना के लोगों की अपनी आवाज।