मुंबई, 25 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को विपक्ष के विरोध को खारिज करते हुए कहा कि संविधान (130वां संशोधन) विधेयक का मकसद राजनीति को शुचिता और पारदर्शिता देना है। उन्होंने तंज कसते हुए पूछा कि क्या कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री जेल से सरकार चला सकता है। शाह ने कहा कि विपक्ष इस बिल का विरोध केवल इसलिए कर रहा है क्योंकि वे जेल से भी सत्ता पर काबिज रहने का विकल्प बचाए रखना चाहते हैं। एएनआई को दिए इंटरव्यू में शाह ने कहा कि अगर किसी नेता को गिरफ्तार किया जाता है और वह 30 दिन से अधिक हिरासत में रहता है, तो ऐसे व्यक्ति का पद छोड़ना ही उचित है। उनके अनुसार, यदि आरोप गलत हैं तो अदालतें मौजूद हैं और जमानत मिलने के बाद नेता फिर से अपनी जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। शाह ने यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस सरकार के समय भी ऐसा प्रावधान था कि दो साल की सजा होने पर सदस्यता अपने आप खत्म हो जाती थी।
उन्होंने कहा कि पहले परंपरा थी कि आरोप लगने पर नेता नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देते थे और रिहाई के बाद ही राजनीति में लौटते थे। लेकिन अब नई परंपरा बन गई है कि जेल में रहते हुए भी पद नहीं छोड़ा जाता। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री और तमिलनाडु के मंत्रियों का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसी स्थिति राजनीतिक नैतिकता को कमजोर करती है। शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जब मनमोहन सिंह सरकार ने लालू यादव को बचाने के लिए अध्यादेश लाया था तो राहुल गांधी ने उसे फाड़कर क्यों खारिज किया। अगर उस वक्त नैतिकता सही थी, तो आज क्यों नहीं।
गृहमंत्री ने अपने अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि जब सीबीआई ने उन्हें समन भेजा था तो उन्होंने अगले ही दिन इस्तीफा दे दिया था। बाद में गिरफ्तारी हुई और तीन महीने जेल में रहे, लेकिन अदालत ने साफ कर दिया कि मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित था और वे निर्दोष थे। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर शाह ने कहा कि यह व्यक्तिगत स्वास्थ्य कारणों से हुआ है और इसे अनावश्यक मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए। वहीं उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी पर उन्होंने कहा कि वामपंथी विचारधारा के आधार पर ही उन्हें चुना गया है, क्योंकि रेड्डी ने पहले आदिवासियों के आत्मरक्षा के अधिकार और सलवा जुडूम का विरोध किया था।