अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की पहली डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह घोषणा करते हुए बताया कि वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी लौटना चाहती हैं, जहां वे पहले इकोनॉमिक्स फैकल्टी का हिस्सा थीं। IMF ने गीता के इस्तीफा देने की पुष्टि की है और कहा कि उनके उत्तराधिकारी की घोषणा उचित समय पर की जाएगी। गीता वर्तमान में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से सार्वजनिक अवकाश पर थीं ताकि IMF में अपनी भूमिका निभा सकें। आइए गीता गोपीनाथ के बारे में विस्तार से जानते हैं और उनके कार्यकाल की उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं।
कोरोना काल में निभाई अहम भूमिका
गीता गोपीनाथ ने कोरोना महामारी के दौरान विश्व को आर्थिक मंदी से उबारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने वैश्विक स्तर पर वैक्सीनेशन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति बनाई। IMF, वर्ल्ड बैंक, WTO और WHO के साथ मिलकर उन्होंने एक मल्टीलेटरल टास्क फोर्स तैयार किया, जिसने वैक्सीन उत्पादन से लेकर वितरण तक की चुनौतियों को हल करने में मदद की। उनकी यह पहल महामारी के दौरान आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में अहम रही।
गीता गोपीनाथ का पारिवारिक और शैक्षिक परिचय
गीता गोपीनाथ का जन्म पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ, लेकिन वे कर्नाटक के मैसूर में पली-बढ़ीं। उनके पिता, TV गोपीनाथ, केरल के कन्नूर जिले के किसान और व्यवसायी थे, जबकि उनकी मां VC विजयलक्ष्मी एक प्लेहाउस चलाती थीं। गीता ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में इकबाल सिंह धालीवाल से शादी की, जो वर्तमान में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। उनका एक बेटा भी है जिसका नाम राहिल है।
शिक्षा और करियर की शुरुआत
गीता ने 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स किया, जहां वे लगातार टॉपर रहीं और गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इसके बाद 1996 में उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर्स की डिग्री ली। इसके अलावा, उन्होंने वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से भी मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 2001 में उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की।
अपने करियर की शुरुआत गीता ने यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में की। 2005 से 2022 तक वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की इकोनॉमिक्स फैकल्टी में जॉन ज्वान्स्ट्रा प्रोफेसर ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज एंड इकोनॉमिक्स के पद पर कार्यरत रहीं। इसी दौरान, 2019 से 2022 तक वह IMF की चीफ इकोनॉमिस्ट भी रहीं।
IMF में उनका योगदान
21 जनवरी 2022 को गीता गोपीनाथ ने IMF की पहली डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में पद संभाला। वह IMF में नंबर-2 पद पर बैठने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी महिला थीं। उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने 13 विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट प्रकाशित कीं, जिनमें कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण था। उन्होंने वैश्विक मंदी को "द ग्रेट लॉकडाउन" नाम दिया।
गीता ने IMF की अर्थव्यवस्था नीति निर्धारण में कई अहम निर्णयों में भूमिका निभाई। इसके अलावा, वे नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च (NBER) में अंतरराष्ट्रीय वित्त और मैक्रोइकॉनॉमिक्स प्रोग्राम की जॉइंट डायरेक्टर भी रहीं। उन्होंने फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ बोस्टन में विजिटिंग स्कॉलर और न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व बैंक के आर्थिक सलाहकार पैनल की सदस्यता भी ग्रहण की।
भारत से भी जुड़े
गीता गोपीनाथ भारत से भी गहरे जुड़े हुए हैं। वे केरल के मुख्यमंत्री की आर्थिक सलाहकार रह चुकी हैं। साथ ही भारत के वित्त मंत्रालय के लिए G-20 मामलों के सलाहकार समूह की सदस्य भी रहीं। उनका यह योगदान भारत के आर्थिक मामलों में विशेष महत्व रखता है।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में वापसी
अपने IMF पद से इस्तीफा देने के बाद गीता गोपीनाथ ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में वापस जाने का फैसला किया है। वे हार्वर्ड की इकोनॉमिक्स फैकल्टी का हिस्सा बनकर शिक्षा और शोध में योगदान देना चाहती हैं। उनके लौटने से हार्वर्ड के छात्रों और शोध कार्यों को काफी लाभ मिलेगा।
निष्कर्ष
गीता गोपीनाथ ने अपने करियर में न सिर्फ शैक्षिक उपलब्धियां हासिल की हैं, बल्कि वैश्विक आर्थिक नीतियों के निर्धारण में भी अहम भूमिका निभाई है। IMF में उनकी सेवाएं और कोरोना काल में उनका योगदान विशेष उल्लेखनीय है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी लौटने के उनके फैसले से यह स्पष्ट है कि वे शिक्षा और शोध के क्षेत्र में भी नए अध्याय लिखना चाहती हैं।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय मूल की इस महान अर्थशास्त्री की उपलब्धियां देश के लिए गर्व का विषय हैं। उनकी आगामी योजनाओं और करियर पर सभी की नजरें बनी हुई हैं।