पुणे न्यूज डेस्क: गिलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे कई राज्यों में चिंता बढ़ गई है। महाराष्ट्र इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य बन गया है, और खासतौर पर पुणे इसमें हॉटस्पॉट के रूप में उभरा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुणे में अब तक 149 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि इस बीमारी से मरने वालों की संख्या पांच तक पहुंच गई है। महाराष्ट्र के अलावा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और तेलंगाना में भी जीबीएस के मामले सामने आए हैं। हाल ही में तेलंगाना में एक महिला में जीबीएस के लक्षण दिखने के बाद उसे हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
पुणे नगर निगम (PMC) के स्वास्थ्य अधिकारी अब इस बीमारी के बढ़ते मामलों की वजह की जांच कर रहे हैं। उनका ध्यान इस बात पर है कि क्या पानी की शुद्धिकरण प्रक्रिया में कोई कमी रह गई है, जिससे यह संक्रमण बढ़ा है। क्योंकि जीबीएस के लक्षण दस्त (Diarrhoea) से जुड़े होते हैं, अधिकारी पानी और मांस के सैंपल लेकर जांच कर रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी (Campylobacter jejuni) और नोरोवायरस (Norovirus) जैसे बैक्टीरिया की मौजूदगी की जांच की जा रही है, जिससे यह समझा जा सके कि बीमारी का स्रोत क्या है।
एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि पानी के क्लोरीनीकरण (chlorination) में कोई गड़बड़ी हुई है या नहीं। हालांकि, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ चर्चा में यह संकेत मिला है कि पानी में क्लोरीन के स्तर में गिरावट से बैक्टीरिया का संक्रमण फैल सकता है, जिससे पानी दूषित हो सकता है। अगर यह सही पाया गया, तो यह जीबीएस के बढ़ते मामलों की एक बड़ी वजह हो सकती है।
अधिकारियों ने अब उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है, जहां मरीजों की संख्या अधिक है और जहां डायरिया के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। जांच इस बात की भी की जा रही है कि क्या कुओं और जल स्रोतों में शुद्धिकरण प्रक्रिया में कोई चूक हुई है। खासकर वे जल स्रोत संदेह के घेरे में हैं, जहां से नगर निगम और निजी टैंकर पानी भरते हैं। कई मरीजों में जीबीएस के लक्षण दिखने से कुछ दिन पहले डायरिया की समस्या देखी गई थी, जिससे यह आशंका और भी गहरी हो गई है कि दूषित पानी ही इस बीमारी के फैलने की वजह हो सकता है।