भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में इस बार एक बेहद दिलचस्प और हैरान करने वाला आंकड़ा सामने आया है। आमतौर पर उपराष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला दो प्रमुख गठबंधनों के उम्मीदवारों के बीच होता है — एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A)। लेकिन इस बार चुनाव आयोग के पास कुल 46 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए, जिनमें से सिर्फ दो नामांकन ही वैध पाए गए!
🔍 नामांकन की स्क्रूटनी में हुआ खुलासा
21 अगस्त 2025 को नामांकन प्रक्रिया पूरी हुई, जिसके बाद 22 अगस्त को चुनाव आयोग ने सभी फॉर्म की जांच की। जांच के बाद यह सामने आया कि 44 उम्मीदवारों के पर्चे खारिज कर दिए गए हैं। इन उम्मीदवारों ने उपराष्ट्रपति बनने की महत्वाकांक्षा से तो नामांकन तो भरा, लेकिन जरूरी शर्तों को पूरा नहीं कर पाए।
📜 क्या कहता है नियम?
भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन भरते समय उम्मीदवार को दो प्रमुख शर्तों को पूरा करना होता है:
-
कम से कम 20 सांसदों का समर्थन (Supporters)
-
कम से कम 20 सांसदों का प्रस्ताव (Proposers)
इसका मतलब है कि एक उम्मीदवार के पास कुल 40 सांसदों का समर्थन होना अनिवार्य है। चूंकि वर्तमान में लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर कुल 782 सांसद हैं, ऐसे में हर कोई इन नियमों को पूरा नहीं कर सकता।
विशेषज्ञों के अनुसार, इन 44 उम्मीदवारों के पास यह आवश्यक समर्थन नहीं था, जिसके कारण उनके नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए।
🗳️ दो मुख्य प्रत्याशी मैदान में
अब मैदान में केवल दो उम्मीदवार बचे हैं:
-
सी. पी. राधाकृष्णन – एनडीए के उम्मीदवार
-
बी. सुदर्शन रेड्डी – इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार
दोनों ने ही 4-4 सेट नॉमिनेशन फॉर्म दाखिल किए।
-
राधाकृष्णन ने Sl. Nos. 26, 27, 28, 29 पर नामांकन भरे।
-
रेड्डी ने Sl. Nos. 41, 42, 43, 44 पर पर्चे दाखिल किए।
यह नियमों के तहत एक सामान्य प्रक्रिया है, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि यदि एक फॉर्म में कोई तकनीकी खामी हो, तो दूसरे सेट वैध साबित हो सकें।
❓ क्यों इतना बड़ा अंतर?
लोगों के मन में सवाल उठना स्वाभाविक है कि इतने सारे उम्मीदवारों ने नामांकन क्यों भरे, जबकि उन्हें आवश्यक समर्थन नहीं मिला?
विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ लोगों ने प्रसिद्धि पाने, राजनीतिक चर्चा में आने, या सिर्फ प्रक्रिया को समझने के लिए भी यह कदम उठाया होगा। लेकिन चुनाव आयोग की सख्त स्क्रूटनी ने यह स्पष्ट कर दिया कि बिना आवश्यक शर्तों को पूरा किए, कोई भी उम्मीदवार चुनावी प्रक्रिया में आगे नहीं बढ़ सकता।
🗓️ आगे की प्रक्रिया
-
25 अगस्त 2025 तक नाम वापस लेने की अंतिम तिथि है।
-
9 सितंबर 2025 को उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान होगा।
-
बहुमत के लिए उम्मीदवार को 392 सांसदों के वोट की जरूरत है।
-
एनडीए के पास वर्तमान में 427 सांसदों का समर्थन है, जबकि इंडिया गठबंधन के पास करीब 355 सांसदों का समर्थन बताया जा रहा है।
🔚 निष्कर्ष
इस बार का उपराष्ट्रपति चुनाव अपने उम्मीदवारों की संख्या और स्क्रूटनी प्रक्रिया को लेकर खासा चर्चा में रहा। कुल 46 में से सिर्फ 2 उम्मीदवारों का नामांकन वैध पाया जाना यह दिखाता है कि भारत की चुनावी प्रणाली कितनी सख्त और पारदर्शी है। अब देखना यह है कि 9 सितंबर को देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन बनता है — एनडीए के सीपी राधाकृष्णन या इंडिया गठबंधन के बी. सुदर्शन रेड्डी।