पटना न्यूज डेस्क: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में कई जिलों में सुधार का प्रदर्शन देखा है। इस विभाग द्वारा जमीन से जुड़े मामलों के निष्पादन के आधार पर जिलों की रैंकिंग की जाती है। हालांकि, पटना इस बार भी अंतिम पायदान पर बना रहा है। इस रैंकिंग में जिलों के डीएम की सक्रियता और कोर्ट मामलों के निबटारे को प्रमुख रूप से देखा जाता है।
अभी तक, सभी जिलों के डीएम कोर्ट में आए मामलों के निबटारे का कालम शून्य दर्ज है। डीएम कोर्ट में दाखिल-खारिज और पुनरीक्षण के मामले आते हैं, जिनमें कुछ मामलों का संबंध बिहार भूमि सुधार कानून से भी है। इस माह की रैंकिंग में शेखपुरा पहले स्थान पर रहा, जबकि अक्टूबर में वह दूसरे स्थान पर था। बांका ने एक स्थान गिरकर दूसरे स्थान पर कब्जा किया है। शेखपुरा को 64.79% अंक और बांका को 64.35% अंक मिले हैं।
जहानाबाद और सिवान ने अपनी रैंकिंग बनाए रखी है। उन्हें क्रमशः 59.82% और 55.42% अंक मिले हैं। वहीं, वैशाली एक पायदान ऊपर उठकर पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। गोपालगंज और अरवल ने हाल ही में बेहतरीन सुधार किया है। गोपालगंज ने अक्टूबर में 24वें स्थान से छलांग लगाते हुए नवंबर में 13वें स्थान पर पहुंचने में सफलता पाई है, जबकि अरवल 33वें स्थान से 17वें स्थान तक पहुंचा है।
कई जिलों ने अपेक्षित प्रदर्शन नहीं किया है और उनकी रैंकिंग पिछड़ी हुई है। नालंदा, बेगूसराय, भोजपुर, सारण, मुजफ्फरपुर और गया जैसे जिलों ने अपेक्षाकृत कम अंक हासिल किए हैं। इन जिलों को क्रमशः 16वें, 18वें, 19वें, 20वें, 21वें और 28वें स्थान पर रखा गया है। इन जिलों को अंक मिलते समय विभिन्न मानकों के तहत इनकी कार्यकुशलता की जांच की जाती है।
भूमि सुधार क्या है?
भूमि सुधार एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य भूमि के उपयोग, अधिकार और प्रबंधन में सुधार करना है। इसके अंतर्गत, भूमि के मालिकों और उपयोगकर्ताओं के अधिकारों को सुरक्षित करना और भूमि के उपयोग को अधिक प्रभावी बनाना शामिल है। यह प्रक्रिया समाज के वंचित वर्गों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि भूमि से जुड़े अधिकारों का उचित वितरण हो सके।