पटना न्यूज डेस्क: बिहार सरकार ने पथ निर्माण विभाग की निगरानी में बने सभी छोटे-बड़े पुलों की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने का अहम कदम उठाया है। अब हर पुल पर उसका विस्तृत ब्योरा और एक क्यूआर कोड लगाया जा रहा है, जिसे स्कैन करते ही उस पुल का आखिरी निरीक्षण कब हुआ, उसकी वर्तमान स्थिति और अन्य तकनीकी जानकारियां मिल सकेंगी। इस पहल का उद्देश्य पुलों की पारदर्शी निगरानी और रखरखाव व्यवस्था को जनता के सामने लाना है।
पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने शनिवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि बिहार देश का पहला राज्य है जिसने पुल मेंटेनेंस पालिसी को पूरी तरह लागू किया है। साथ ही पुलों के रखरखाव से संबंधित निविदा प्रक्रिया के लिए स्टैंडर्ड बिडिंग डाक्यूमेंट भी तैयार कर लिया गया है। निर्माण एजेंसियों को पुलों की देखरेख का जिम्मा सात साल तक दिया जाएगा।
आईआईटी पटना और आईआईटी दिल्ली को बड़े पुलों की थर्ड पार्टी सेफ्टी ऑडिट की जिम्मेदारी दी गई है। आईआईटी पटना को राज्य के दक्षिण-मध्य और पश्चिमी जिलों में मौजूद 45 बड़े पुलों की जांच सौंपी गई है, वहीं आईआईटी दिल्ली को उत्तर बिहार के कई जिलों में मौजूद 40 बड़े पुलों का ऑडिट करना है। इन पुलों की लंबाई 250 मीटर से अधिक है।
अब तक पथ निर्माण विभाग द्वारा राज्य भर में 12,065 कलवर्ट का सर्वे पूरा किया गया है, जिनमें 96 को खराब हालत में पाया गया है और 92 को विशेष मरम्मत की आवश्यकता है। इसके अलावा 745 पुलों का भी भौतिक सर्वे कराया गया, जिनमें से 29 को तत्काल मरम्मत की जरूरत बताई गई है। सरकार की यह पहल पुलों की सुरक्षा और जनहित में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।