पटना न्यूज डेस्क: प्रशांत किशोर को बीपीएससी री-एग्जाम के विरोध में गांधी मैदान में अनशन करते समय पुलिस ने 6 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें जमानत मिलने के बाद जेल नहीं भेजा गया, लेकिन इस घटना ने राजनीति का रुख बदल दिया। जनसुराज पार्टी ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि गिरफ्तारी के दौरान नियमों का उल्लंघन हुआ और प्रशांत किशोर के साथ दुर्व्यवहार किया गया। पार्टी का कहना है कि यह पूरी घटना अव्यावसायिक और अनुचित थी।
जनसुराज पार्टी के नेता, प्रशांत किशोर, 2 जनवरी से बीपीएससी परीक्षा के दोबारा आयोजन की मांग को लेकर अनशन पर बैठे थे। पुलिस ने उन्हें 6 जनवरी को जबरन हिरासत में लिया, हालांकि कोर्ट से जमानत मिलने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। इस गिरफ्तारी के बाद पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि पुलिस ने प्रशांत किशोर को झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की।
पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा ने भी पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने पेशेवर तरीके से काम नहीं किया और कई अधिकारियों ने अपनी पहचान छिपा रखी थी। आनंद मिश्रा ने यह भी कहा कि पुलिस ने गिरफ्तारी के समय उन्हें बेतहाशा अवैध तरीके से हिरासत में लिया और उनसे अपना नाम तक नहीं बताया।
आनंद मिश्रा ने दावा किया कि गिरफ्तारी के समय पुलिस ने प्रशांत किशोर को चप्पल पहनने की अनुमति नहीं दी और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और डीके बसु गाइडलाइंस का पालन नहीं किया। उन्होंने डीजीपी से अपील की कि पुलिस को उचित प्रशिक्षण दिया जाए ताकि भविष्य में ऐसी अव्यवसायिक और अनुचित घटनाएं न हों।