पटना न्यूज डेस्क: आरजी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जूनियर डॉक्टर पिछले 10 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। यह अनशन एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले में न्याय न मिलने और डॉक्टरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की मांग के लिए किया जा रहा है। अनशन कर रहे डॉक्टरों की सेहत लगातार बिगड़ रही है, और कई डॉक्टर गंभीर स्थिति में पहुंच चुके हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आई.एम.ए.) और पूरे देश के मेडिकल स्टूडेंट्स ने इस आंदोलन के समर्थन में एकजुटता दिखाई है। इसका असर पटना के आईजीआईएमएस में भी दिखाई दे रहा है, जहां सभी जूनियर डॉक्टर सुबह से अनशन पर बैठे हुए हैं और "सफेद कोट पर लाल दाग बर्दाश्त नहीं करेंगे" जैसे नारों के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं।
आई.एम.ए. के जूनियर डॉक्टर नेटवर्क और मेडिकल स्टूडेंट नेटवर्क ने कोलकाता में अनशन कर रहे डॉक्टरों के आंदोलन का समर्थन करते हुए आज, 15 अक्टूबर को, पटना के सभी मेडिकल कॉलेजों में सांकेतिक अनशन किया। प्रदर्शन कर रही एक महिला डॉक्टर ने लोकल 18 को बताया कि कोलकाता में जो हुआ, उसके दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान लागू किए गए सुरक्षा कानून को सरकार ने हटा लिया है। हम चाहते हैं कि इस कानून को फिर से लागू किया जाए ताकि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
दूसरे जूनियर डॉक्टर ने बताया कि वे किसी भी मरीज को परेशानी नहीं देना चाहते, इसलिए ओपीडी या अन्य सेवाओं को प्रभावित नहीं किया गया है। उनका मुख्य उद्देश्य डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर है, और इसी वजह से वे सांकेतिक अनशन पर बैठे हैं।
एक प्रदर्शनकारी ट्रेनी डॉक्टर ने बताया कि कोलकाता में अनशन का आज 11वां दिन है, लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। कुछ डॉक्टरों की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि उन्हें ICU में भर्ती कराना पड़ा है। उनकी प्रमुख मांग है कि सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट (CPA) को फिर से लागू किया जाए और दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिले, ताकि डॉक्टर बिना किसी डर के अपने काम कर सकें और सुरक्षित महसूस कर सकें।