पटना न्यूज डेस्क: आईआईटी पटना और सीएसआईआरओ ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर एक नई शोध पहल की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-कचरे) से महत्वपूर्ण खनिजों को निकालना है। इस परियोजना के तहत जर्मेनियम, इंडियम और टैंटलम जैसे दुर्लभ खनिजों को एंड-ऑफ-लाइफ इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट से निकालने की प्रक्रिया विकसित की जाएगी। इस पहल से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलने की उम्मीद है। यह परियोजना भारत-ऑस्ट्रेलिया महत्वपूर्ण खनिज नेटवर्क का हिस्सा है, जो दोनों देशों के तकनीकी और व्यापारिक सहयोग को बढ़ावा देगा।
इस परियोजना का नेतृत्व आईआईटी पटना के सिविल और पर्यावरण अभियांत्रिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित कुमार वर्मा और सहायक प्रोफेसर डॉ. मनीष सिंह कर रहे हैं। वहीं, सीएसआईआरओ ऑस्ट्रेलिया की ओर से खनिज विज्ञान के प्रमुख डॉ. वॉरेन ब्रुकर्ड इस पहल की निगरानी कर रहे हैं। शोध के दौरान दोनों संस्थान तकनीकी विशेषज्ञता साझा करेंगे और ई-कचरे से महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण के लिए नई तकनीकों का विकास करेंगे।
आईआईटी पटना के निदेशक प्रोफेसर टीएन सिंह ने इस साझेदारी को दोनों देशों के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने कहा कि इस शोध से ई-कचरे के प्रबंधन में सुधार होगा और दुर्लभ खनिजों की घरेलू आपूर्ति को भी मजबूती मिलेगी। कार्यक्रम का समन्वय सीएसआईआरओ के ग्रुप साइंटिस्ट जोआन लोह और प्रोफेसर टीएन सिंह द्वारा किया जाएगा। इस पहल से न केवल पर्यावरण को फायदा होगा, बल्कि भारत की खनिज प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी।