पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र में गुलेन बैरी सिंड्रोम (GB Syndrome) से मौतों की संख्या बढ़कर 4 हो गई है, जबकि अब तक कुल 140 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। पुणे के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल में गुरुवार को 36 वर्षीय व्यक्ति की निमोनिया और श्वसन तंत्र में गंभीर आघात के चलते जान चली गई। वहीं, पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम क्षेत्र में भी इस बीमारी के कई मामले सामने आ रहे हैं।
इस बीमारी का चौथा संदिग्ध शिकार सिंहगढ़ रोड के धायरी इलाके का 60 वर्षीय व्यक्ति था, जिसकी शुक्रवार को कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई। उसे 27 जनवरी को दस्त और पैरों में कमजोरी की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पुणे नगर निगम (PMC) के स्वास्थ्य विभाग ने पुष्टि की कि यह मामला भी जीबी सिंड्रोम से जुड़ा हो सकता है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक 26 मरीज पुणे शहर से, 78 पुणे नगर निगम क्षेत्र से, 15 पिंपरी चिंचवाड़ से, 10 पुणे ग्रामीण से और 11 अन्य जिलों से सामने आए हैं। हालांकि, शुक्रवार को कोई नया मामला रिपोर्ट नहीं हुआ। राज्य के ज्यादातर मामले पुणे और आसपास के इलाकों से जुड़े हैं, जिससे प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है।
बीमारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रशासन ने पानी की गुणवत्ता की जांच शुरू कर दी है। अब तक पुणे के विभिन्न इलाकों से 160 पानी के सैंपल केमिकल और बायोलॉजिकल एनालिसिस के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला भेजे गए हैं। इनमें से आठ जल स्रोत दूषित पाए गए हैं, जिससे इलाके में पानी जनित संक्रमण की आशंका बढ़ गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सिंहगढ़ रोड क्षेत्र के कुछ निजी बोरवेल के नमूनों में एस्चेरिचिया कोली (ई-कोली) बैक्टीरिया मिला है, जो गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है। इसके अलावा, नांदेड़, किरकटवाड़ी, धायरी और सिंहगढ़ रोड जैसे क्षेत्रों में भी जीबीएस के मामलों में तेजी देखी जा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए पुणे नगर निगम ने बोरवेल और कुओं से पानी के नमूने इकट्ठा करने की प्रक्रिया तेज कर दी है, ताकि संक्रमण के कारणों का पता लगाया जा सके।