पटना न्यूज डेस्क: अहमदाबाद में हुए दर्दनाक विमान हादसे ने कई जिंदगियों को अधूरा छोड़ दिया, उन्हीं में से एक थी मनीषा थापा की। मूल रूप से दार्जिलिंग की रहने वाली मनीषा का पटना से गहरा जुड़ाव रहा है। उन्होंने 2014 से 2017 तक सेंट जेवियर कॉलेज, पटना से बीबीई की पढ़ाई की थी। क्लास में हमेशा आगे की लाइन में बैठने वाली मनीषा न सिर्फ पढ़ाई में अव्वल थीं बल्कि कॉलेज की हर गतिविधि में भी उनकी भागीदारी यादगार रही। जैसे ही हादसे की खबर कॉलेज तक पहुंची, परिसर में शोक की लहर दौड़ गई।
मनीषा की मौत की खबर से कॉलेज के टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ गहरे सदमे में हैं। ज़ेवियर एलुमनाई एसोसिएशन ने उनके सम्मान में शोकसभा रखी है। एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रंजन कुमार ने बताया कि एक बार कॉलेज के प्रिंसिपल फ्लाइट में सफर कर रहे थे, तभी मनीषा ने उन्हें पहचान कर बड़ी आत्मीयता से कहा, "सर, मैं ज़ेवियर की स्टूडेंट हूं, 2014-17 बैच की टॉपर रही थी।" उस मुलाकात में उनकी आंखों की खुशी और कॉलेज के प्रति उनका लगाव साफ झलक रहा था।
कॉलेज के वाइस चांसलर मार्टिन और बाकी स्टाफ ने भी मनीषा को याद करते हुए कहा कि वह स्टूडेंट काउंसिल की सदस्य थीं और उनमें नेतृत्व की अच्छी क्षमता थी। शांत स्वभाव और विनम्रता से भरपूर मनीषा का हर स्टाफ से मधुर संबंध था। वो सभी को गुड मॉर्निंग और गुडबाय कहना नहीं भूलती थीं। डांस उनका पैशन था और कुछ दिन पहले ही एक दोस्त की शादी में उन्होंने जमकर डांस किया था।
मनीषा ने करियर की शुरुआत इंडिगो एयरलाइंस में ग्राउंड स्टाफ के तौर पर की थी, फिर अकासा एयर में बतौर केबिन क्रू काम किया और अपनी मेहनत से एयर इंडिया की इंटरनेशनल फ्लाइट में बतौर क्रू मेंबर पहुंचीं। उनका सपना उड़ चला था, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था। कॉलेज के ग्राफिक डिजाइनर तपेश्वर प्रसाद ने उन्हें याद करते हुए कहा, “उनका नाम मनीषा था – मन की सुंदरता का प्रतीक। वो किताबों को पूरी गहराई से पढ़ती थीं, सिलेबस के अलावा भी ऐसी किताबें पढ़ती थीं जो आत्मा को सुकून दें। उनका भविष्य सूरज से भी ज्यादा उज्ज्वल था, लेकिन वो बीच रास्ते में ही बुझ गया।”