पटना न्यूज डेस्क: अहमदाबाद विमान हादसे के बाद पटना का जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा एक बार फिर चर्चा में आ गया है। वजह है उसका छोटा रनवे और सचिवालय परिसर में बना ब्रिटिश काल का क्लॉक टावर, जो हवाई सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गया है। एयरपोर्ट अधिकारियों का कहना है कि 56 मीटर ऊंचा यह टावर विमानों के टेकऑफ और लैंडिंग में बाधा बनता है। यही कारण है कि एक बार फिर बिहार सरकार से इसकी ऊंचाई कम करने की अपील की गई है।
सचिवालय परिसर में स्थित यह क्लॉक टावर 1917 में बना था और हवाई अड्डे से बेहद नजदीक है। एयरपोर्ट अधिकारियों ने बताया कि पहले से ही छोटा रनवे इस टावर की वजह से पूरी तरह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, जिससे विमान संचालन पर असर पड़ता है। पीएम नरेंद्र मोदी की 29 मई को हुई पटना यात्रा से पहले भी अधिकारियों ने इस मुद्दे को उठाया था और बिहार सरकार को खतरे से अवगत कराया था।
यह कोई नया मामला नहीं है। एक दशक पहले नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के ऑडिट में भी इस टावर को बाधा करार दिया गया था और इसकी ऊंचाई घटाने की सिफारिश की गई थी। इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हाल ही में यह मुद्दा संसद में भी उठा, जहां नागरिक उड्डयन मंत्री ने माना कि पटना एयरपोर्ट का रनवे बड़ा विमानों के लिए पर्याप्त नहीं है, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की क्षमता प्रभावित हो रही है।
सिर्फ क्लॉक टावर ही नहीं, बल्कि पटना एयरपोर्ट के आसपास कई और चुनौतियां भी हैं। कौशल नगर में अवैध निर्माण और पटना चिड़ियाघर (संजय गांधी जैविक उद्यान) के ऊंचे पेड़ भी विमानों की उड़ान में बाधा बनते हैं। एयरपोर्ट अधिकारियों का कहना है कि 20 किलोमीटर के दायरे में बने किसी भी ऊंचे ढांचे के लिए NOC लेना अनिवार्य है। इस मुद्दे पर संभागीय आयुक्त चंद्रशेखर सिंह ने बैठक बुलाने की बात कही है, जिसमें हवाई अड्डे की सुरक्षा से जुड़े सभी बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी।