पटना न्यूज डेस्क: पटना स्थित बिहार विधानसभा के विस्तारित भवन में आयोजित "आपातकाल: लोकतंत्र का काला अध्याय" विषयक संगोष्ठी में आपातकाल के दौर को याद करते हुए भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। मनोहर लाल खट्टर ने 1975 के आपातकाल को लोकतंत्र पर सीधा हमला बताया और कहा कि यह सिर्फ सत्ता की भूख नहीं थी, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों को कुचलने का प्रयास था।
खट्टर ने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस ने तंत्र का इस्तेमाल कर अपनी सत्ता को बनाए रखा और जब लोकतंत्र की असली परीक्षा आई, तो 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बिना कैबिनेट की राय लिए आपातकाल घोषित कर दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव रद्द होने के बाद देशभर में विरोध करने वालों को जेल में डाल दिया गया, सबसे पहले जयप्रकाश नारायण को गिरफ्तार किया गया। खट्टर ने सवाल किया कि अगर इंदिरा गांधी को अपनी लोकप्रियता पर भरोसा होता तो दोबारा चुनाव करवा सकती थीं, लेकिन उन्होंने लोकतंत्र से मुंह मोड़ लिया।
विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने आपातकाल के समय की अपनी निजी यादें साझा करते हुए बताया कि कैसे उस समय लोगों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए थे। उन्होंने कहा कि “प्रेस के पन्ने खाली छापे जाते थे, घरों के दरवाजे तक पुलिस उखाड़कर ले जाती थी।” उन्होंने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का सबसे डरावना दौर बताया और चेताया कि आज अगर कोई फिर से लोकतंत्र को चोट पहुंचाने की कोशिश करेगा, तो जनता उसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने आपातकाल के खिलाफ भाजपा के संघर्ष को याद दिलाया और कहा कि उस समय सुशील मोदी सहित कई नेताओं को जान की बाजी लगानी पड़ी थी। उन्होंने कांग्रेस और राजद को एक जैसा बताते हुए कहा कि दोनों आज लोकतंत्र विरोधी मानसिकता के प्रतीक बन चुके हैं। वहीं, सम्राट चौधरी ने कहा कि आपातकाल के दौरान पत्रकारों को बिना एफआईआर जेल में डाला गया और आज जो संविधान की दुहाई दे रहे हैं, उनके पूर्वजों ने ही संविधान को रौंदा था। उन्होंने घोषणा की कि 28 जून तक बिहार के हर जिले और पंचायत में आपातकाल की सच्चाई को सामने लाया जाएगा।