मध्य-पूर्व एक बार फिर युद्ध की चपेट में है। इस बार लड़ाई का केंद्र बना है दक्षिण गाजा, जहां हमास और इजरायल के बीच संघर्ष लगातार तेज़ होता जा रहा है। हमास की ओर से यह दावा किया गया है कि दक्षिण गाजा में इजरायली सैनिकों को भारी नुकसान हुआ है। यह दावा ऐसे समय आया है जब गाजा में जमीनी हमले और हवाई हमले दोनों की तीव्रता बढ़ गई है।
दक्षिण गाजा में इजरायल को नुकसान?
हमास के सैन्य शाखा के प्रवक्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने दक्षिणी गाजा में इजरायली सेना के कई वाहनों को निशाना बनाया और बड़ी संख्या में सैनिकों को हताहत किया है। हालांकि इजरायली रक्षा बलों (IDF) ने इन दावों की पुष्टि नहीं की है। लेकिन IDF ने स्वीकार किया है कि हालिया अभियानों में कुछ सैनिक हताहत हुए हैं और जमीनी लड़ाई तेज़ होती जा रही है।
दक्षिण गाजा में हमास का मजबूत प्रभाव है, और यहीं से कई सुरंगों और हथियारों की तस्करी की जाती रही है। यही कारण है कि इजरायल ने हाल के दिनों में इस क्षेत्र में सैन्य अभियान और तेज़ कर दिए हैं।
लंदन में सबसे बड़ा फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन
इजरायल-गाजा युद्ध के असर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में लंदन में दुनिया का सबसे बड़ा फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शन हुआ। लाखों लोगों ने सड़क पर उतरकर हमास के समर्थन और गाजा में हो रहे इजरायली हमलों के खिलाफ आवाज़ बुलंद की।
प्रदर्शनकारियों ने गाजा में हो रही हवाई बमबारी, बच्चों और नागरिकों की मौत और मानवीय संकट पर संयुक्त राष्ट्र और ब्रिटेन सरकार की चुप्पी को भी आड़े हाथों लिया। इन प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में मुस्लिम और मानवाधिकार संगठनों के लोग शामिल हुए।
सीरिया सीमा पर ड्रूज समुदाय की दुविधा
इजरायल की सीरिया से लगती सीमा पर एक और चिंता बढ़ रही है। यहां से रिपोर्ट्स आ रही हैं कि ड्रूज समुदाय के लोग बड़ी संख्या में सीरिया की ओर पलायन कर रहे हैं। उनका कहना है कि इजरायल में अरब विरोधी हिंसा बढ़ने से उन्हें खतरा महसूस हो रहा है।
ड्रूज एक धार्मिक और सांस्कृतिक अल्पसंख्यक हैं, जो इजरायल, सीरिया, लेबनान और जॉर्डन में फैले हुए हैं। बताया जा रहा है कि कई ड्रूज परिवार बिना सरकार की अनुमति के सीरिया में दाखिल हो गए हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इजरायली यहूदी चरमपंथी गुट उन्हें निशाना बना सकते हैं।
इजरायल में अरब समुदाय पर गुस्सा
गाजा युद्ध का सीधा असर इजरायल के भीतर भी देखने को मिल रहा है। इजरायल के यहूदी समुदाय में फिलिस्तीनी मूल के अरब नागरिकों के प्रति नाराज़गी और हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। कई शहरों में दोनों समुदायों के बीच झड़पों की खबरें आई हैं।
कुछ चरमपंथी यहूदी समूहों ने सार्वजनिक स्थानों पर फिलिस्तीनी झंडे फाड़े, तो कुछ जगहों पर अरब दुकानों और घरों पर हमला भी किया गया। इस हिंसा के बीच इजरायली सरकार की ओर से कड़े कदम उठाए गए हैं, लेकिन स्थिति अब भी तनावपूर्ण है।
अमेरिका और ईरान की भूमिका
इस पूरे परिदृश्य में अमेरिका और ईरान की गतिविधियां भी महत्वपूर्ण हो गई हैं। अमेरिका में फिलहाल इजरायल के समर्थन में मजबूत बयान दिए जा रहे हैं, लेकिन बढ़ते विरोध के बीच बाइडन प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है कि वह इजरायल पर संयम बरतने का दबाव डाले।
वहीं ईरान खुले तौर पर हमास, हिज्बुल्ला और हूथी विद्रोहियों को समर्थन दे रहा है। बताया जा रहा है कि ईरान गुप्त तरीके से इन संगठनों को हथियार, ड्रोन और वित्तीय मदद उपलब्ध करा रहा है। इससे पूरे पश्चिम एशिया में इजरायल के खिलाफ एक मोर्चा तैयार हो रहा है।
निष्कर्ष
गाजा में जारी युद्ध सिर्फ इजरायल और हमास की लड़ाई नहीं रह गई है, यह अब एक क्षेत्रीय संघर्ष का रूप ले रही है जिसका असर सीरिया, लेबनान, ब्रिटेन और अन्य देशों तक पहुंच चुका है। लंदन जैसे शांतिप्रिय शहर में विशाल प्रदर्शन और सीरिया सीमा पर ड्रूज पलायन इस बात का संकेत है कि हालात सामान्य नहीं हैं। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यह संघर्ष सीमित रहता है या और व्यापक रूप लेता है। फिलहाल, यह स्पष्ट है कि मध्य-पूर्व एक बार फिर गंभीर अस्थिरता की ओर बढ़ रहा है।