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शनिवार और रविवार को भारत में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों के बीच डर और चिंता की स्थिति बनी हुई है। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में शनिवार को भूकंप के झटके आए, जबकि रविवार की रात गुजरात के कच्छ क्षेत्र में भी धरती हिली। ऐसे समय में जब पूरे देश में मानसून की तेज बारिश से बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं, वहीं लगातार भूकंप के झटकों ने आम जनता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भूकंप आते क्यों हैं? भारत में भूकंप का खतरा किन-किन राज्यों में अधिक है और इसके पीछे की वैज्ञानिक वजहें क्या हैं? आइए विस्तार से जानते हैं।
भूकंप क्यों आते हैं?
धरती की सतह पर जो टेक्टोनिक प्लेटें (भू-पर्पटी के विशाल खंड) हैं, वे लगातार हिलती-डुलती रहती हैं। ये प्लेट्स कई बार एक-दूसरे से टकराती हैं, कभी आपस में रगड़ खाती हैं, या फिर कुछ समय के लिए एक-दूसरे के साथ अटक जाती हैं। जब यह दबाव इतना बढ़ जाता है कि ये प्लेटें अचानक टूटती या खिसकती हैं, तब भूकंप के झटके महसूस होते हैं। इसे सरल भाषा में समझने के लिए, मान लीजिए कि एक इलास्टिक बैंड को आप लगातार खींच रहे हैं, जो एक समय के बाद टूट जाता है। इस टूटने से उत्पन्न झटका जैसे कम्पन को ही भूकंप कहा जाता है।
क्या भूकंप आने का कोई निश्चित समय होता है?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भूकंप का कोई निश्चित समय या महीना नहीं होता। यह पूरी तरह से धरती के अंदर हो रहे टेक्टोनिक क्रियाकलापों पर निर्भर करता है। हालांकि, कुछ स्थानों पर प्राकृतिक या मानवजनित गतिविधियों जैसे खनन, बर्फ के पिघलने या जमने के कारण धरती की सतह में बदलाव आ सकता है, जो भूकंप की संभावना को बढ़ा सकता है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर बार इस तरह की गतिविधि के बाद भूकंप आए।
भारत में भूकंप के लिए बनाए गए जोन
भारत में भूकंप के खतरे को कम करने और बेहतर तैयारी के लिए पूरे देश को भूकंप जोखिम के आधार पर पांच जोनों (Zone) में बांटा गया है। ये जोन 1 से 5 तक होते हैं, जहां जोन 5 सबसे अधिक भूकंप प्रभावित क्षेत्र होता है और जोन 1 सबसे कम प्रभावित। विशेषज्ञों के अनुसार भारत का करीब 59 फीसदी क्षेत्र ऐसे जोनों में आता है जहां भूकंप का खतरा बना रहता है।
किन राज्यों में कितना खतरा है?
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जोन 5 (सबसे ज्यादा खतरा): इसमें अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, नागालैंड, मणिपुर, असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात जैसे राज्य शामिल हैं। ये क्षेत्र भूकंप के लिए अत्यंत संवेदनशील माने जाते हैं और यहां पर आए दिन छोटे-मोटे या बड़े भूकंप आते रहते हैं।
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जोन 4: दिल्ली-एनसीआर, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से इस जोन में आते हैं। यहां भूकंप का खतरा जोन 5 की तुलना में कम होता है, लेकिन अभी भी सतर्कता बरतनी पड़ती है।
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जोन 3: मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु जैसे बड़े शहर जोन 3 में आते हैं। इन इलाकों में भूकंप का खतरा मध्यम माना गया है।
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जोन 2 और जोन 1 (कम खतरा वाले क्षेत्र): केरल, तमिलनाडु के कुछ हिस्से, कर्नाटक के कुछ क्षेत्र, आंध्र प्रदेश और गोवा जैसे राज्य भूकंप के लिहाज से कम खतरे वाले क्षेत्र में आते हैं।
हाल की घटनाएं और उनके प्रभाव
पिछले कुछ दिनों में कश्मीर के किश्तवाड़ में 2.7 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था। इसके बाद रविवार रात को कच्छ (गुजरात) में 4.0 तीव्रता वाला झटका आया। हालांकि अभी तक इन झटकों से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन लगातार आए भूकंप के कारण लोगों में दहशत बनी हुई है।
देश के बाहर भी इसी अवधि में अलास्का में 6.2 तीव्रता का भूकंप आया, जो काफी शक्तिशाली था। तजाकिस्तान में भी 4.6 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। इस तरह के भूगर्भीय घटनाक्रम वैश्विक स्तर पर भी जारी हैं और धरती की सतह में लगातार बदलाव हो रहा है।
भूकंप से सुरक्षा के लिए क्या करें?
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सतर्क रहें: भूकंप के खतरे वाले इलाकों में रहने वाले लोगों को आपदा प्रबंधन एजेंसियों की सलाह माननी चाहिए और भूकंप की तैयारी करनी चाहिए।
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सुरक्षित स्थानों की पहचान करें: घर, स्कूल या ऑफिस में ऐसे स्थानों को चिन्हित करें जहां भूकंप आने पर सुरक्षित रूप से छिपा जा सकता है, जैसे मजबूत मेज के नीचे।
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भूकंप के दौरान सुरक्षित व्यवहार: झटके आने पर स्थिर रहें, जमीन पर बैठ जाएं, सिर और गर्दन को अपने हाथों से ढक लें और तुरंत खिड़की या दरवाजे के पास जाने से बचें।
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आपातकालीन किट तैयार रखें: फर्स्ट एड किट, पानी, टॉर्च, खाद्य सामग्री, जरूरी दवाइयां और अन्य आपातकालीन सामान हमेशा तैयार रखें।
निष्कर्ष
भूकंप एक प्राकृतिक घटना है, जिसे पूरी तरह रोकना संभव नहीं है, लेकिन उसकी जानकारी और सावधानियों से उससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। भारत जैसे बड़े और विविध भौगोलिक देश में, जहां टेक्टोनिक प्लेट्स की क्रियाशीलता अधिक है, वहां भूकंप की तैयारी और जागरूकता बहुत जरूरी है। मानसून के कारण बाढ़ और भूकंप के झटकों की बार-बार घटनाएं प्राकृतिक आपदाओं के प्रति लोगों की सतर्कता और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को और बढ़ा देती हैं।
इसलिए हमें चाहिए कि हम समय-समय पर भूकंप और अन्य आपदाओं से निपटने की तैयारियों को मजबूत करें और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के निर्देशों का पालन करें ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में हम सुरक्षित रह सकें।