पटना न्यूज डेस्क: 14 जून को पटना पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल किया गया था। क्राइम कंट्रोल का हवाला देकर एसएसपी अवकाश कुमार का तबादला कर दिया गया और पूर्णिया के एसपी कार्तिकेय शर्मा को पटना की जिम्मेदारी दी गई। लेकिन कुछ ही हफ्तों बाद 4 जुलाई की रात मगध हॉस्पिटल के मालिक और जाने-माने व्यवसायी गोपाल खेमका की पटना के गांधी मैदान थाना क्षेत्र में हत्या कर दी गई। यह वारदात थाने से महज ढाई सौ मीटर की दूरी पर हुई, लेकिन अपराधी बेखौफ फरार हो गए।
परिजनों का आरोप है कि घटना के डेढ़ घंटे तक पुलिस मौके पर नहीं पहुंची और पटना एसएसपी का फोन भी बंद मिला। पटना सिटी एसपी भी दो घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंचीं। मृतक के भाई संतोष खेमका ने आरोप लगाया कि कई खोखे सड़क पर पड़े थे जिन्हें पुलिसकर्मियों ने ईंट और बांस से घेर दिया लेकिन मौके पर न तो फॉरेंसिक टीम आई और न ही कोई त्वरित कार्रवाई दिखी। परिजनों ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि अपराधियों का मनोबल बढ़ चुका है और अब घर पर चढ़कर हत्या की जा रही है।
घटना के बाद जन अधिकार पार्टी के सांसद पप्पू यादव भी पहुंचे और उन्होंने भी बिहार पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह परिवार आखिर कब तक बलि देता रहेगा? उन्होंने याद दिलाया कि 2018 में भी गोपाल खेमका के बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उन्होंने कहा कि गांधी मैदान जैसे पॉश इलाके में, जहां बड़े अफसर रहते हैं, वहां भी अगर अपराधी बेखौफ हत्याएं कर सकते हैं तो आम लोगों की सुरक्षा की कल्पना करना मुश्किल है।
वहीं, बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने इस मामले पर खुद संज्ञान लिया है और एसआईटी गठित कर दी गई है। सिटी एसपी (सेंट्रल) इस स्पेशल टीम का नेतृत्व करेंगे। डीजीपी ने कहा कि जल्द ही अपराधियों की गिरफ्तारी होगी। लेकिन लगातार हो रही ऐसी घटनाओं के बाद यह सवाल और भी गहरे हो गए हैं कि क्या महज तबादलों से अपराध पर लगाम लग सकती है?