अमेरिका की कथित नई नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी (NSS) को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ ने दावा किया है कि उसे एक लीक ड्राफ्ट दस्तावेज मिला है, जिसमें सामने आया है कि ट्रंप प्रशासन यूरोपीय संघ (EU) को रणनीतिक रूप से कमजोर करने और एशियाई देशों के साथ एक नया गठबंधन बनाने की योजना पर काम कर रहा है.
दस्तावेज के मुताबिक, अमेरिका 4 यूरोपीय देशों—इटली, हंगरी, पोलैंड और ऑस्ट्रिया—को EU की केंद्रीकृत लाइन से खींचकर अलग करने की योजना पर काम कर रहा है, ताकि यूरोपीय एकता को तोड़ा जा सके.
सबसे बड़ा और नाटकीय दावा यह है कि अमेरिका एक नया ‘Core-5’ गठबंधन बनाने की सोच रहा है, जिसमें अमेरिका, चीन, रूस, भारत और जापान शामिल होंगे. यह कदम यूरोप को प्रभावी रूप से वैश्विक शक्ति संतुलन में साइडलाइन कर देगा.
लीक दस्तावेज की अहम बातें और लक्ष्य
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, कथित ड्राफ्ट दस्तावेज में तीन बड़े भू-राजनीतिक लक्ष्य बताए गए हैं:
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यूरोप में सॉवरेनिस्ट समूहों को समर्थन: अमेरिका उन राजनीतिक दलों, विचारकों और समूहों को प्रोत्साहित करेगा जो राष्ट्रीय संप्रभुता, पारंपरिक यूरोपीय मूल्यों और EU की केंद्रीकृत शक्ति के विरोध को बढ़ावा देते हैं, बशर्ते वे प्रो-अमेरिकन हों.
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4 यूरोपीय देशों पर फोकस (इटली, हंगरी, पोलैंड, ऑस्ट्रिया): इन देशों में पहले से ही दक्षिणपंथी या राष्ट्रवादी नेतृत्व उभर कर आया है (जैसे इटली में जॉर्जिया मेलोनी और हंगरी में विक्टर ऑर्बन). रिपोर्ट का दावा है कि ट्रंप प्रशासन इन्हें EU की नीतियों से दूरी बनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे EU की एकता भंग हो.
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5 देशों का नया पावरफुल ग्रुप (Core 5): कथित योजना के अनुसार, अमेरिका 5 महाशक्तियों (अमेरिका, रूस, भारत, चीन और जापान) के बीच एक नई सुपर-कोऑर्डिनेशन स्ट्रक्चर चाहता है. इस संरचना का उद्देश्य भविष्य की भू-राजनीतिक दिशा तय करना होगा, जिससे यूरोप इस प्रक्रिया में निर्णायक भूमिका से बाहर हो जाएगा.
विवाद और व्हाइट हाउस का खंडन
हालांकि, व्हाइट हाउस ने इस पर कड़ा जवाब दिया है और इस लीक को सिरे से खारिज करते हुए ‘फेक न्यूज’ कहा है. अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि आधिकारिक 29-पेज NSS ही असली दस्तावेज है, और यह लीक ड्राफ्ट मनगढ़ंत है तथा किसी नीति बदलाव का संकेत नहीं देता.
फिर भी, जानकारों का मानना है कि यह लीक दस्तावेज ट्रंप के पुराने बयानों और उनके पसंदीदा नेताओं (जैसे मेलोनी और ऑर्बन) के प्रति उनके रुझान से मेल खाता है, इसलिए इस पर बहस बढ़ गई है.
क्यों बढ़ा विवाद?
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यूरोप को कमजोर करने का संकेत: यह विचार कि वाशिंगटन EU की एकता को तोड़ने की कवायद कर रहा है, यूरोपीय नेताओं की पुरानी चिंताओं को बल देता है, जिससे NATO और पश्चिमी गठबंधन की एकता पर बड़ा संकट आएगा.
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US-China-Russia को एक फ्रेम में रखना: यह विचार ही अपने आप में बेहद नाटकीय और असाधारण है, क्योंकि ये तीनों देश दशकों से प्रतिद्वंद्वी रहे हैं और अलग-अलग रणनीतिक ब्लॉक में आते हैं.
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भारत और जापान की भूमिका: अगर इन्हें Core-5 संरचना में लाया जाता है, तो यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका की मौजूदा QUAD और व्यापक रणनीतियों पर सीधा प्रभाव डालेगा.
भले ही व्हाइट हाउस ने इसे फेक न्यूज करार दिया हो, लेकिन इस लीक ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर दो बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं: क्या दुनिया अब बहुध्रुवीय व्यवस्था से निकलकर एक पॉवर क्लब-आधारित संरचना की ओर बढ़ रही है? और क्या अमेरिका यूरोप से दूरी बनाकर एशिया-केंद्रित विश्व व्यवस्था पर दांव लगा रहा है?