टोरंटो स्थित फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग्स (Fairfax Financial Holdings) आईडीबीआई बैंक की नियंत्रणकारी हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में सबसे आगे है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, फेयरफैक्स, केंद्र सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) से बैंक की 60.72 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक 'ऑल कैश ऑफर' दे सकता है। वर्तमान बाजार मूल्य के हिसाब से भारत सरकार और एलआईसी की इस हिस्सेदारी की कीमत लगभग 7 अरब डॉलर (लगभग ₹63,000 करोड़) बैठती है।
प्रेम वत्स की कंपनी का बड़ा दांव
फेयरफैक्स फाइनेंशियल की स्थापना भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक प्रेम वत्स ने की थी, जो एक अनुभवी निवेशक और वित्तीय सेवा क्षेत्र के दिग्गज हैं। फेयरफैक्स का मुकाबला मुख्य रूप से कोटक महिंद्रा बैंक से है। इन दोनों वित्तीय संस्थाओं को ही दो साल पहले आईडीबीआई बैंक की बोली प्रक्रिया में भाग लेने के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था। वर्तमान में IDBI बैंक का बाजार पूंजीकरण (Market Capitalization) ₹1.02 लाख करोड़ है, और साल 2025 में अब तक बैंक का शेयर लगभग 25 फीसदी चढ़ चुका है।
कोटक महिंद्रा और अन्य दावेदार
आईडीबीआई बैंक में नियंत्रणकारी हिस्सेदारी खरीदने की रेस में शामिल कोटक महिंद्रा बैंक भी एक मजबूत दावेदार है, जो नकद और शेयरों के संयोजन (Combination of Cash and Stock) में बोली लगाने पर विचार कर रहा है। बोली लगाने के लिए आवेदन इस महीने के आखिर तक किए जा सकते हैं, लेकिन इस डेडलाइन को आगे भी बढाया जा सकता है।
इस दौड़ में पहले एमिरेट्स एनबीडी (Emirates NBD) ने भी रुचि व्यक्त की थी, लेकिन हाल ही में RBL बैंक में नियंत्रणकारी हिस्सेदारी खरीदने का समझौता करने के बाद एमिरेट्स एनबीडी के बोली प्रक्रिया से हटने की संभावना है।
'फिट एंड प्रॉपर' की कसौटी
आईडीबीआई बैंक की हिस्सेदारी बेचने की इच्छा सरकार ने तीन साल पहले जताई थी। इसके बाद से अब तक IDBI बैंक के शेयरों का मूल्य तीन गुना बढ़ चुका है। गुरुवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर ये शेयर ₹95 प्रति शेयर के भाव पर बंद हुए।
फेयरफैक्स फाइनेंशियल और कोटक महिंद्रा बैंक दोनों की स्क्रूटनी भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने की है और उन्हें 'फिट एंड प्रॉपर' की कसौटी पर खरा पाया गया है। यह वित्तीय बोली जमा करने के लिए एक आवश्यक शर्त है। यह ध्यान देने योग्य है कि फेयरफैक्स फाइनेंशियल के पास पहले से ही भारत में CSB बैंक में नियंत्रणकारी हिस्सेदारी है, जो भारतीय बैंकिंग नियमों और बाजार की उसकी समझ को दर्शाता है।
सरकार की IDBI बैंक में हिस्सेदारी बेचने की योजना, विनिवेश (Disinvestment) के माध्यम से राजस्व जुटाने और बैंक को निजी क्षेत्र के तहत मजबूत करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। अब सबकी निगाहें इस महीने के अंत तक जमा होने वाली वित्तीय बोलियों पर टिकी हैं।