पटना न्यूज डेस्क: बिहार कैडर के वरिष्ठ IAS अधिकारी संजीव हंस को मनी लॉन्ड्रिंग के एक गंभीर मामले में पटना हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। न्यायमूर्ति चंद्र प्रकाश सिंह की एकलपीठ ने गुरुवार को सुनवाई के बाद उन्हें जमानत दे दी। यह मामला उस अवधि से जुड़ा है जब हंस ऊर्जा विभाग में प्रधान सचिव और बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (BSPHCL) के सीएमडी के रूप में कार्यरत थे।
मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज ECIR नंबर PTZO/04/2024, जो 14 मार्च 2024 को दर्ज हुआ था, इस मामले का आधार है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, जांच रूपासपुर थाने में दर्ज एक पुराने केस (संख्या 18/2023) से शुरू हुई थी, जिसमें हंस पर दुष्कर्म, धोखाधड़ी, साजिश और भ्रष्टाचार सहित कई गंभीर धाराओं के तहत आरोप लगे थे। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच के दौरान कई संदिग्ध वित्तीय लेनदेन के सबूत पाए, जिसके बाद विशेष सतर्कता इकाई को सूचना दी गई और एक नई FIR दर्ज की गई।
ईडी की रिपोर्ट में दावा किया गया कि संजीव हंस ने अपने कार्यकाल में ऊर्जा विभाग से जुड़े ठेकों में अनियमितताएं कीं। आरोप है कि उन्होंने करीबियों के माध्यम से स्मार्ट मीटर लगाने के दो बड़े कॉन्ट्रैक्ट — 997 करोड़ और 2850 करोड़ रुपये के — जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को दिए। जांच में 123 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत के लेनदेन का खुलासा हुआ। इसके अलावा, धूत इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को 60 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए, जिनमें से 29 करोड़ रुपये प्रेरणा स्मार्ट सॉल्यूशन के अकाउंट में पहुंचे।
ईडी ने कहा कि यह रकम “शैडो कंपनियों” के जरिए कई स्तरों पर घुमाई गई, जिससे लांड्रिंग के साक्ष्य मिले। हालांकि, कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि आरोपों की सत्यता का निर्धारण जांच और ट्रायल के दौरान किया जाएगा। संजीव हंस समेत इस मामले में कुल 14 लोग नामजद हैं, और जांच अब भी जारी है।