पटना न्यूज डेस्क: दिल्ली में बीजेपी की ‘चिराग परिक्रमा’ का असर अभी तक नजर नहीं आया है। मीडिया में बार-बार यह दावा किया जा रहा है कि सब कुछ नियंत्रण में है। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी का मानना है कि ‘चिराग परिक्रमा’ सफल होने के बाद पटना में ‘मांझी-कुशवाहा’ समीकरण पर भी दौड़ शुरू की जाएगी। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने सीएम आवास से पूरी स्थिति पर पूरी तरह ‘चैन मोड’ में नजर बनाए हुए हैं और बीजेपी नेताओं की हर गतिविधि पर दूर से ही नजर रख रहे हैं।
राजग में सीट बंटवारे को लेकर गतिरोध लगातार जारी है। इसके पीछे एक बड़ी वजह चिराग पासवान की अधिक सीटों की मांग को माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, कई बार खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ कहने वाले चिराग अपने रुख पर अडिग रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने उनसे मुलाकात के बाद कहा कि सबकुछ सकारात्मक दिशा में है।
2020 के विधानसभा चुनाव में राजग से अलग होकर चुनाव लड़ने वाले चिराग इस बार फिर राजग का हिस्सा हैं। तब जदयू के खिलाफ उनकी रणनीति के चलते नीतीश कुमार की पार्टी केवल 43 सीटों तक सिमट गई थी। उस चुनाव में लोजपा ने 135 उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें 134 हार गए और पार्टी को 5.64 प्रतिशत मत मिले। हालांकि ‘चिराग फैक्टर’ ने जदयू को नुकसान पहुँचाया। मटिहानी से राजकुमार सिंह जीतकर बाद में जदयू में शामिल हुए थे। बाद में लोजपा दो धड़ों में बंट गई, जिसमें चिराग और उनके चाचा पशुपति पारस नेतृत्व कर रहे हैं।
इस बार चिराग पासवान ने लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी ताकत साबित की। अब विधानसभा चुनाव में वे 30–35 सीटों की मांग कर रहे हैं। राजग में दलों की संख्या को देखते हुए भाजपा उन्हें 22 विधानसभा सीटों के साथ राज्यसभा और विधान परिषद की एक-एक सीट देने को तैयार है, लेकिन चिराग की उम्मीदों और भाजपा की तैयारियों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती अभी भी बरकरार है।