पटना न्यूज डेस्क: बिहार में दरोगा और पुलिस भर्ती की मांग को लेकर रविवार को हुए प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। पटना कॉलेज से हाथों में तिरंगा लिए अभ्यर्थी सुबह से ही मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने निकले थे। जेपी गोलंबर पर बैरिकेडिंग तोड़ने के बाद जब वे डाकबंगला चौराहे पहुंचे तो पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया। इसी दौरान पुलिस ने अभ्यर्थियों से तिरंगा छीन लिया और उसी के डंडे से उन्हें पीटा।
लाठीचार्ज की यह घटना तेजी से वायरल हो गई और राजनीतिक रंग भी ले लिया। राजद ने इसे तिरंगे का अपमान बताते हुए बिहार सरकार और पुलिस प्रशासन को घेरा। पार्टी का कहना है कि तिरंगे के डंडे से युवाओं को पीटना न केवल गलत है बल्कि यह राष्ट्रध्वज का भी अपमान है। इससे बेरोजगार युवाओं में आक्रोश और गहरा हो गया है।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि बिहार पुलिस में दरोगा भर्ती की नई वैकेंसी तुरंत निकाली जाए। उनका कहना है कि लंबे समय से भर्ती की मांग हो रही है लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। साथ ही उन्होंने चिंता जताई कि अगले दस दिनों में आचार संहिता लागू हो सकती है, जिससे भर्ती की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी। इसके अलावा सिपाही भर्ती में पारदर्शिता को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं।
इस आंदोलन में न सिर्फ अभ्यर्थी बल्कि कई शिक्षक और शिक्षक नेता भी शामिल हुए, जिससे प्रदर्शन को और मजबूती मिली। हाल ही में दरोगा के 28 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन निकला था, लेकिन अभ्यर्थियों की मांग है कि बड़ी संख्या में, खासकर 23,600 पदों पर भर्ती हो। फिलहाल पुलिस कार्रवाई और तिरंगे के अपमान को लेकर मामला और ज्यादा गरमाता नजर आ रहा है।