पटना न्यूज डेस्क: पटना एम्स में हाल ही में नियुक्त दो डॉक्टरों, कुमार सिद्धार्थ और कुमार हर्षित राज, के खिलाफ सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की है। आरोप है कि दोनों ने फर्जी प्रमाण पत्र का सहारा लेकर अपनी भर्ती हासिल की। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि कुमार सिद्धार्थ का चयन पटना सदर एसडीओ द्वारा जारी नकली ओबीसी नॉन-क्रीम लेयर प्रमाण पत्र के आधार पर फिजियोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में हुआ था। बाद में पद को असिस्टेंट प्रोफेसर कर दिया गया।
डॉ. सिद्धार्थ पटना एम्स के रेडियोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष और डीन डॉ. प्रेम कुमार के पुत्र हैं। वहीं, कुमार हर्षित राज का चयन ईडब्ल्यूएस कोटे की सीट को सामान्य श्रेणी में बदलकर ट्यूटर और डेमान्स्ट्रेटर के पद पर किया गया। डॉ. हर्षित के पिता डॉ. बिंदे कुमार हैं, जो वर्तमान में इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पटना के निदेशक और बिहार चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर कार्यरत हैं।
जानकारी के अनुसार, इस मामले की शिकायत दिसंबर 2024 में दानापुर के अधिवक्ता सत्येंद्र कुमार ने सीबीआई में की थी। जांच में यह सामने आया कि दोनों डॉक्टरों ने सरकारी दस्तावेजों में धोखाधड़ी कर पद हासिल किया। इस कदम ने न सिर्फ भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि चिकित्सकीय संस्थानों में नियुक्तियों की विश्वसनीयता पर भी शंका पैदा की है।
सीबीआई ने इस मामले की गहन जांच के लिए इसे एंटी करप्शन ब्यूरो के डिप्टी एसपी सुरेंद्र देपावत को सौंपा है। अब सभी फर्जी दस्तावेजों और चयन प्रक्रिया के अन्य पहलुओं की विस्तार से जांच की जाएगी। इस कदम से आशा की जा रही है कि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी को रोका जा सके।