मुंबई, 12 दिसंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) विटामिन डी (Vitamin D) शरीर के लिए एक बेहद जरूरी पोषक तत्व है, जो कैल्शियम अवशोषण, प्रतिरक्षा संतुलन और मांसपेशियों की ताकत के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन यदि किसी व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी का स्तर लगातार छह महीने तक 12 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (ng/ml) से कम बना रहता है, तो इसके गंभीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं।
जुपीटर अस्पताल, ठाणे में आंतरिक चिकित्सा (Internal Medicine) के निदेशक डॉ. अमित सर्राफ ने इसे गंभीर कमी (severe deficiency) बताया है और इसके खतरनाक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया है।
🦴 छह महीने तक गंभीर कमी के परिणाम
डॉ. सर्राफ के अनुसार, महीनों तक विटामिन डी का स्तर कम रहने पर शरीर कमी की स्थिति में काम करने लगता है, जिससे कई तरह के जोखिम बढ़ जाते हैं:
- हड्डी का नुकसान: हड्डियों का घनत्व (Bone loss) कम हो सकता है।
- ऑस्टियोमलेशिया: वयस्कों में हड्डियों का नरम होना (Osteomalacia) और कमजोरी हो सकती है।
- मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति का बिगड़ना: मधुमेह (Diabetes) या उच्च रक्तचाप (Hypertension) जैसी बीमारियाँ बिगड़ सकती हैं।
🔔 तत्काल ध्यान देने योग्य शुरुआती लक्षण
डॉ. सर्राफ ने उन साधारण दिखने वाले लक्षणों की ओर ध्यान दिलाया है, जिन्हें तुरंत पकड़ना जरूरी है:
- लगातार थकान: हमेशा थका हुआ महसूस करना।
- शरीर में दर्द और ऐंठन: मांसपेशियों में ऐंठन या बदन दर्द होना।
- कमर दर्द: विशेष रूप से निचले हिस्से में दर्द।
- बार-बार संक्रमण: सामान्य से अधिक बार सर्दी-खांसी या अन्य संक्रमण होना।
- मांसपेशियों में कमजोरी: सीढ़ियाँ चढ़ने या बैठने की स्थिति से उठने में मुश्किल होना।
- मूड और नींद में बदलाव: मूड में बदलाव या नींद संबंधी समस्याएँ भी हो सकती हैं, क्योंकि विटामिन डी नसों और हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
☀️ भारत में कमी का कारण
पर्याप्त धूप होने के बावजूद, भारत के शहरी क्षेत्रों में विटामिन डी की कमी के कई कारण हैं:
- धूप के समय घर के अंदर या ऑफिस में समय बिताना।
- सूर्य की चरम किरणों से बचने के लिए सनस्क्रीन का उपयोग।
- प्रदूषण।
- गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों को अधिक धूप की आवश्यकता होती है, जो अक्सर नहीं मिल पाती।
- भोजन में विटामिन डी के प्राकृतिक स्रोतों का सीमित होना।
🩺 तुरंत क्या करना चाहिए?
डॉ. सर्राफ ने सलाह दी है कि 12 ng/ml से कम स्तर वाले व्यक्तियों को तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए, न कि स्वयं इलाज करना चाहिए।
- इलाज: इसमें आमतौर पर कुछ हफ्तों के लिए सप्ताह में एक बार विटामिन डी की उच्च खुराक दी जाती है, जिसके बाद स्तर को बनाए रखने के लिए एक मेंटेनेंस थेरेपी शुरू की जाती है।
- फॉलो-अप: स्तर में सुधार सुनिश्चित करने के लिए नियमित जांच (Regular follow-up tests) आवश्यक हैं।