हाल ही में वैश्विक बाजारों से एक बड़ी खबर सामने आई है—कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गए हैं, जो कि एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। इसका असर सीधे तौर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ सकता है, क्योंकि भारत अपनी जरूरत का बड़ा हिस्सा आयातित तेल से पूरा करता है।
तेल की कीमतों में गिरावट क्यों आई?
कच्चे तेल के दामों में आई इस गिरावट की प्रमुख वजह है OPEC+ देशों का ताजा फैसला। OPEC+ यानी तेल उत्पादक देशों के गठबंधन ने हाल ही में तेल की आपूर्ति (supply) बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके चलते वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की उपलब्धता अधिक हो गई है, जिससे कीमतों में गिरावट देखने को मिली।
यह गिरावट पिछले कुछ महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है, और अब विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही ट्रेंड कुछ और हफ्तों तक बना रहा, तो भारतीय बाजार में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम हो सकती हैं।
क्या भारत में सस्ते होंगे पेट्रोल-डीजल?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या आम जनता को इसका फायदा मिलेगा?
भारत में ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMCs) प्रतिदिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों को अपडेट करती हैं, लेकिन फिलहाल देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह स्थिति तब है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल लगातार सस्ता हो रहा है।
फिलहाल, पोर्ट ब्लेयर में देश का सबसे सस्ता पेट्रोल और डीजल मिल रहा है:
वहीं, देश की राजधानी दिल्ली में:
यह अंतर बताता है कि राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स (VAT) और केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी भी कीमतों को तय करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
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अप्रैल में डीजल की मांग में उछाल
हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सस्ता हो रहा है, लेकिन भारत में डीजल की मांग में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अप्रैल 2025 में डीजल की खपत 4 फीसदी बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस महीने देश में 82.3 लाख टन डीजल की खपत हुई।
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि भले ही कच्चा तेल सस्ता हो, लेकिन घरेलू खपत का दबाव कीमतों को नीचे जाने से रोक सकता है। यानी तेल कंपनियां अपनी लागत और मांग के आधार पर ही दरों में कटौती करती हैं।
कब तक आ सकती है राहत?
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कच्चे तेल के दाम इसी तरह नीचे बने रहते हैं और सप्लाई ओवरलोड बनी रहती है, तो आगामी कुछ हफ्तों में भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 1 से 2 रुपये प्रति लीटर तक की राहत मिल सकती है। हालांकि इसमें केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों का भी बड़ा रोल रहेगा।
राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो यदि निकट भविष्य में कोई चुनाव होता है, तो सरकारों द्वारा टैक्स में राहत देने की संभावनाएं और अधिक हो सकती हैं।
निष्कर्ष
कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन इसका सीधा लाभ जनता तक पहुंचे, इसके लिए कुछ समय और लग सकता है। भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें सिर्फ क्रूड ऑयल के दाम पर निर्भर नहीं करतीं, बल्कि टैक्स संरचना, एक्सचेंज रेट, डिमांड-सप्लाई और सरकारी नीतियां भी इसमें अहम भूमिका निभाती हैं।