आईपीएल 2025 का रोमांच अपने चरम पर है और इसी कड़ी में दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच खेला गया मुकाबला दर्शकों के लिए यादगार बन गया। इस मैच में सीजन-18 का पहला सुपर ओवर देखने को मिला, जिसने फैंस की धड़कनें तेज कर दीं। सुपर ओवर में दिल्ली कैपिटल्स ने राजस्थान रॉयल्स को मात देकर मुकाबला अपने नाम किया। इस जीत के हीरो बने ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क, जिन्होंने अपनी शानदार गेंदबाजी से मैच का रुख पलट दिया और उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ भी घोषित किया गया।
सुपर ओवर का रोमांच
राजस्थान रॉयल्स और दिल्ली कैपिटल्स के बीच मुकाबला बेहद करीबी रहा। निर्धारित 20 ओवरों के बाद दोनों टीमों का स्कोर बराबर रहा और मैच सुपर ओवर तक पहुंच गया। दिल्ली की ओर से गेंदबाजी की जिम्मेदारी मिचेल स्टार्क को सौंपी गई और उन्होंने इसे बखूबी निभाया।
राजस्थान की टीम सुपर ओवर में बल्लेबाजी करने उतरी और मिचेल स्टार्क ने अपनी तेज और सटीक गेंदबाजी से बल्लेबाजों को खुलकर खेलने का मौका नहीं दिया। शुरुआती तीन गेंदों में केवल 5 रन दिए गए। लेकिन फिर आया वह मोड़, जिसने मैच को और भी दिलचस्प बना दिया।
नो बॉल पर छिड़ा विवाद
सुपर ओवर की चौथी गेंद पर रियान पराग ने चौका जड़ा, लेकिन उसी गेंद को अंपायर ने नो बॉल करार दिया। यहीं से मैदान में थोड़ी देर के लिए घमासान का माहौल बन गया। कई फैंस और कुछ पूर्व खिलाड़ी इस निर्णय से सहमत नहीं दिखे। उनका मानना था कि मिचेल स्टार्क के साथ नाइंसाफी हुई है।
दर्शकों और पंडितों की राय में स्टार्क का अगला पैर क्रीज के अंदर था, जिससे उन्हें लग रहा था कि ये गेंद वैध थी। लेकिन अंपायर ने जो निर्णय दिया, वह उनके पिछले पैर की स्थिति के आधार पर था। यही कारण बना इस विवाद का।
आखिर नो बॉल क्यों दी गई?
यहां समझना जरूरी है कि मैरीलिबोन क्रिकेट क्लब (MCC) के नियमों के अनुसार यदि गेंदबाज का पिछला पैर रिटर्न क्रीज की लाइन को छूता है या पार करता है, तो वह गेंद नो बॉल मानी जाएगी। यानी केवल अगला पैर क्रीज के अंदर होना काफी नहीं है, बल्कि पिछला पैर भी रिटर्न क्रीज की सीमाओं के अंदर रहना जरूरी है।
स्टार्क की उस गेंद पर साफ देखा गया कि उनका पिछला पैर रिटर्न क्रीज की लाइन को छू रहा था। ऐसे में अंपायर का निर्णय नियमों के अनुसार बिल्कुल सही था।
क्या स्टार्क के साथ वाकई नाइंसाफी हुई?
अगर भावनाओं को अलग रखकर नियमों की बात करें तो मिचेल स्टार्क के साथ किसी प्रकार की नाइंसाफी नहीं हुई थी। यह घटना सिर्फ नियमों की सख्त पालना का एक उदाहरण रही। हालांकि ऐसे हाई-प्रेशर मैचों में भावनाएं हावी हो जाती हैं और विवाद होना आम बात है।
कमेंट्री बॉक्स में भी इस पर लंबी चर्चा हुई। कुछ विशेषज्ञों ने अंपायर के फैसले को सही बताया, तो कुछ ने कहा कि ऐसे करीबी मामलों में थर्ड अंपायर की मदद ली जानी चाहिए ताकि कोई संदेह न रहे।
दिल्ली की जीत और स्टार्क की भूमिका
बावजूद इस नो बॉल के, मिचेल स्टार्क ने सुपर ओवर में शानदार वापसी करते हुए राजस्थान को 11 रनों पर रोक दिया। इसके बाद दिल्ली कैपिटल्स के बल्लेबाजों ने आसानी से यह लक्ष्य हासिल कर लिया और टीम ने मुकाबला जीत लिया। स्टार्क की गेंदबाजी में धार और आत्मविश्वास दोनों दिखे, और यही वजह रही कि उन्हें 'प्लेयर ऑफ द मैच' का खिताब मिला।
निष्कर्ष
आईपीएल 2025 का यह मुकाबला केवल दिल्ली और राजस्थान के बीच की भिड़ंत नहीं था, बल्कि यह क्रिकेट के नियमों, तकनीकी फैसलों और खिलाड़ियों की मानसिक मजबूती का भी एक बेहतरीन उदाहरण था। मिचेल स्टार्क ने जहां अपने प्रदर्शन से दिल जीत लिया, वहीं नो बॉल पर हुए विवाद ने दर्शकों को नियमों को और बेहतर समझने का मौका दिया।
इस मैच ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आईपीएल सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि क्रिकेट के जुनून और ड्रामे का दूसरा नाम है।