मुंबई, 01 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पूर्व मंत्री महेश जोशी की अंतरिम जमानत याचिका पर ईडी कोर्ट में सुनवाई हुई। महेश जोशी की ओर 9 दिन की अंतरिम जमानत मांगी गई है। आपको बता दें, 900 करोड़ के जल जीवन मिशन घोटाले के आरोपी पूर्व मंत्री महेश जोशी है। उधर, अंतरिम जमानत की मियाद खत्म होने पर महेश जोशी जयपुर सेंट्रल जेल पहुंचे और सरेंडर कर दिया। उन्हें रात जेल में ही बितानी पड़ेगी। महेश जोशी के वकील दीपक चौहान ने कहा, जोशी को अपनी पत्नी के निधन से जुड़े रीति-रिवाज निभाने हैं। इस दुख की घड़ी में बड़ी संख्या में लोग उनके घर पर पहुंच रहे हैं। ऐसे में महेश जोशी का मौजूद रहना जरूरी है। पत्नी की 13वीं से पहले और उस दिन के अन्य रीति-रिवाज महेश जोशी के हाथों से ही संपन्न होना जरूरी है। ऐसे में उन्हें 9 दिन की अंतरिम जमानत और दी जाए। आपको बता दें, महेश जोशी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। सोमवार को रिमांड खत्म होने पर कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। उनकी पत्नी की मौत होने कोर्ट ने 28 अप्रैल को महेश जोशी को 4 दिन की अंतरिम जमानत दी थी। गुरुवार को महेश जोशी की ओर से कोर्ट में जमानत याचिका लगाई गई थी।
आपको बता दें, जेजेएम घोटाले में अब तक पीयूष जैन, पदम चंद जैन, महेश मित्तल और संजय बड़ाया की गिरफ्तारी हो चुकी है। जेजेएम घोटाला केंद्र सरकार की हर घर नल पहुंचाने वाली 'जल जीवन मिशन योजना' से जुड़ा है। साल 2021 में श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के ठेकेदार पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र दिखाकर जलदाय विभाग (PHED) से करोड़ों रुपए के 4 टेंडर हासिल किए थे। श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी कार्य प्रमाण पत्रों से पीएचईडी की 68 निविदाओं में भाग लिया था। उनमें से 31 टेंडर में एल-1 के रूप में 859.2 करोड़ के टेंडर हासिल किए थे। श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लिया और 73 निविदाओं में एल -1 के रूप में भाग लेकर 120.25 करोड़ के टेंडर हासिल किए थे। घोटाले का खुलासा होने पर एसीबी ने जांच शुरू की। कई भ्रष्ट अधिकारियों को दबोचा। फिर ईडी ने केस दर्ज कर महेश जोशी और उनके सहयोगी संजय बड़ाया सहित अन्य के ठिकानों पर दबिश दी थी। इसके बाद सीबीआई ने 3 मई 2024 को केस दर्ज किया। ईडी ने अपनी जांच पूरी कर 4 मई को सबूत और दस्तावेज एसीबी को सौंप दिए थे।
दरअसल, ग्रामीण पेयजल योजना के तहत सभी ग्रामीण इलाकों में पेयजल की व्यवस्था होनी थी। जिस पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को 50-50 प्रतिशत खर्च करना था। इस योजना के तहत डीआई डक्टर आयरन पाइपलाइन डाली जानी थी। इसकी जगह पर HDPE की पाइपलाइन डाली गई। पुरानी पाइपलाइन को नया बता कर पैसा लिया गया, जबकि पाइपलाइन डाली ही नहीं गई, लेकिन ठेकेदारों ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से मिल कर उसका पैसा उठा लिया। जिसके बाद, ठेकेदार पदमचंद जैन हरियाणा से चोरी के पाइप लेकर आया और उन्हें नए पाइप बता कर बिछा दिया। सरकार से करोड़ों रुपए ले लिए। साथ ही, ठेकेदार पदमचंद जैन ने फर्जी कंपनी के सर्टिफिकेट लगाकर टेंडर लिया, जिसकी अधिकारियों को जानकारी थी। इसके बाद भी उसे टेंडर दिया गया, क्योंकि वह एक राजनेता का दोस्त था।