श के पेंशन सेक्टर के नियामक, पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA), ने सरकारी कर्मचारियों की पेंशन स्कीमों के निवेश नियमों में एक बड़ा बदलाव किया है। ये नए नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो चुके हैं। नियामक ने पहले जारी की गई सभी गाइडलाइंस को एक ही मास्टर सर्कुलर में समाहित कर दिया है, जिससे पूरी निवेश प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जा सके।
इस बड़े बदलाव का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों की रिटायरमेंट सेविंग्स को ज्यादा सुरक्षित बनाना और निवेश प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाना है।
नए नियमों की आवश्यकता और उद्देश्य
करोड़ों सरकारी और राज्य सरकार के कर्मचारी नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में शामिल हैं, जबकि आम नागरिक अटल पेंशन योजना (APY) के तहत निवेश करते हैं।
PFRDA का कहना है कि नई गाइडलाइंस से यह पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगा कि पेंशन फंड्स सब्सक्राइबर्स की मेहनत की कमाई को कहां और कितनी मात्रा में निवेश कर सकते हैं। इससे निवेश का जोखिम कम होगा और लंबी अवधि में रिटर्न अधिक स्थिर हो सकेगा, जो रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए अत्यंत आवश्यक है।
सरकारी बॉन्ड में सबसे ज्यादा निवेश की सीमा
नए नियमों के तहत, पेंशन फंड्स को अपनी पूंजी का एक बड़ा हिस्सा सबसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में रखना होगा।
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सरकारी सिक्योरिटीज (G-Sec): अब पेंशन फंड्स अपनी पूंजी का 65% तक पैसा सरकारी सिक्योरिटीज (सरकारी बॉन्ड) में लगा सकते हैं। चूंकि सरकारी बॉन्ड सबसे सुरक्षित माने जाते हैं, यह सीमा रिटायरमेंट सेविंग्स की सुरक्षा के लिए एक बड़ा सुरक्षा कवच प्रदान करती है।
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कॉरपोरेट बॉन्ड और डेट इंस्ट्रूमेंट्स: इन विकल्पों में अधिकतम 45% तक निवेश की अनुमति दी गई है। हालांकि, PFRDA ने इसके लिए मिनिमम रेटिंग से जुड़े कड़े नियम तय किए हैं, ताकि कोई भी फंड ज्यादा जोखिम वाले या घटिया रेटिंग वाले बॉन्ड में पैसा न लगाए।
इक्विटी और अन्य विकल्पों में निवेश की सीमा
PFRDA ने पेंशन फंड्स द्वारा विभिन्न एसेट क्लास में निवेश की अधिकतम सीमाएं भी तय की हैं:
| एसेट क्लास |
अधिकतम निवेश सीमा |
| इक्विटी (शेयर बाजार) |
25% |
| कॉरपोरेट बॉन्ड और डेट इंस्ट्रूमेंट्स |
45% |
| सरकारी सिक्योरिटीज |
65% |
| मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स |
10% |
| REITs, InvITs और AIFs |
5% |
शेयर बाजार को सामान्यतः ज्यादा उतार-चढ़ाव (Volatile) वाला माना जाता है, इसलिए इक्विटी में 25% की अधिकतम सीमा तय करने से जोखिम नियंत्रित रहेगा। फंड्स अब IPO, FPO, OFS और इंडेक्स आधारित निवेश के जरिए शेयर खरीद सकेंगे।
पोर्टफोलियो निगरानी और जोखिम प्रबंधन
नई गाइडलाइंस में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि फंड्स को अपने निवेश पोर्टफोलियो की लगातार निगरानी करनी होगी। यदि इंडेक्स में बदलाव होता है या किसी निवेश की गुणवत्ता (क्रेडिट रेटिंग) गिरती है, तो फंड्स को पोर्टफोलियो को तुरंत री-बैलेंस करना होगा।
PFRDA का कहना है कि यह पूरा फ्रेमवर्क सरकारी कर्मचारियों और APY के लाभार्थियों की लंबी अवधि की बचत को ज्यादा सुरक्षित, स्थिर और पारदर्शी बनाएगा। संक्षेप में, आपका पेंशन का पैसा अब अधिक नियंत्रण और सुरक्षा के साथ निवेश होगा।