बेरूत/यरूशलम: इजरायल और फिलिस्तीनी समूह हमास के बीच जारी संघर्ष अब लेबनान तक पहुँच गया है। इजरायली सेना ने मंगलवार को दक्षिणी लेबनान में स्थित एक फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविर पर घातक एयर स्ट्राइक की है। लेबनान के सरकारी मीडिया और अधिकारियों के अनुसार, इस हवाई हमले में अब तक 11 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। इजरायली सेना (IDF) ने इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि निशाना बनाया गया शिविर वह जगह थी जहाँ हमास की ट्रेनिंग होती थी। IDF ने दावा किया कि इस कैंप में इजरायल और उसकी सेना के खिलाफ हमले की तैयारी की जा रही थी।
सेना के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई हमास के खिलाफ जारी व्यापक अभियान का हिस्सा है। उन्होंने चेतावनी दी कि "इजरायली सेना हमास के खिलाफ यह कार्रवाई जारी रखेगी, चाहे हमास कहीं भी सक्रिय हो।" यह बयान इजरायल की उस नीति को दर्शाता है जिसके तहत वह सीमा पार भी अपने दुश्मनों के ठिकानों पर हमला करने के लिए तैयार है।
सीजफायर के बाद सबसे घातक हमला
यह हमला इस क्षेत्र में तनाव को कई गुना बढ़ा सकता है। यह घटनाक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमला इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच हुए सीजफायर के एक साल से अधिक समय बाद हुआ है। लेबनानी अधिकारियों ने इसे सीजफायर के बाद लेबनान पर हुआ सबसे घातक हमला बताया है। लेबनान की धरती पर फिलिस्तीनी ठिकानों को निशाना बनाना क्षेत्र में एक बड़े संघर्ष की आशंका को जन्म देता है। लेबनान में हिज़्बुल्लाह जैसे शक्तिशाली समूह मौजूद हैं, जो फिलिस्तीनी समूहों का समर्थन करते हैं। इस तरह के हमले हिज़्बुल्लाह को इजरायल के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के लिए उकसा सकते हैं, जिससे दोनों देशों के बीच पूर्ण युद्ध छिड़ने का खतरा बढ़ जाएगा।
शरणार्थी शिविरों पर हमला करना हमेशा से एक संवेदनशील मुद्दा रहा है, क्योंकि इन शिविरों में नागरिक आबादी बड़ी संख्या में रहती है। हालांकि, इजरायल का कहना है कि उसने सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर केवल हमास के परिचालन और प्रशिक्षण सुविधाओं को निशाना बनाया। इस घटना के बाद लेबनान की सरकार ने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इजरायल की इस "आक्रामकता" को रोकने की अपील की है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है ताकि स्थिति और न बिगड़े। गाजा के बाहर हमास के ठिकानों पर IDF का यह सीधा हमला संघर्ष के भौगोलिक विस्तार की ओर इशारा करता है, जो मध्य-पूर्व में शांति प्रयासों के लिए एक बड़ी बाधा है।