दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में 21 नवंबर से 23 नवंबर तक जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस 20वें जी-20 समिट में दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं एक मंच पर जुट रही हैं। भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर रवाना हो चुके हैं। लेकिन इस बार का शिखर सम्मेलन शुरुआत से ही चर्चा में है, क्योंकि अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर इससे दूरी बना ली है।
अमेरिका क्यों नहीं ले रहा हिस्सा?
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अमेरिका दक्षिण अफ्रीका में जारी जी-20 की आधिकारिक बैठकों या वार्ताओं का हिस्सा नहीं बनेगा। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा पर आरोप लगाया कि उन्होंने अमेरिका और राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के खिलाफ “नेगेटिव भाषा” का इस्तेमाल किया है, जो ट्रंप प्रशासन को स्वीकार नहीं है।
लेविट ने कहा कि ट्रंप प्रशासन किसी भी तरह की ऐसी भाषा को बर्दाश्त नहीं करेगा जो अमेरिका या उसके नेतृत्व पर हमला करती हो।
उन्होंने यह भी बताया कि दक्षिण अफ्रीका स्थित अमेरिकी राजदूत की मौजूदगी सिर्फ इस बात को सुनिश्चित करने के लिए है कि अगला G20 शिखर सम्मेलन 2026 में अमेरिका में आयोजित होगा। राजदूत किसी भी औपचारिक बातचीत या बैठकों में हिस्सा नहीं लेंगे।
‘साउथ अफ्रीका के आरोप गलत’ — प्रेस सेक्रेटरी
एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कैरोलिन लेविट ने कहा,
“मैंने आज सुबह दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति को अमेरिका और अमेरिकी राष्ट्रपति के खिलाफ बात करते हुए देखा। यह भाषा राष्ट्रपति ट्रंप या उनकी टीम को पसंद नहीं आई। इसलिए हमारा कोई अधिकारी ऑफिशियल चर्चा में शामिल नहीं होगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति झूठा दावा कर रहे हैं कि अमेरिकी अधिकारी बैठक का हिस्सा बन रहे हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है।
ह्यूमन राइट्स उल्लंघन का हवाला देते हुए ट्रंप ने लगाया प्रतिबंध
इसके पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने यह घोषणा की थी कि दक्षिण अफ्रीका में मानवाधिकारों के उल्लंघन को देखते हुए वह किसी भी अमेरिकी सरकारी अधिकारी को G20 समिट में शामिल होने की अनुमति नहीं देंगे। यह कदम दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है। दूसरी ओर, राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने अमेरिकी कदम को “उनका नुकसान” बताया है। उन्होंने कहा कि साउथ अफ्रीका अमेरिका की गैरमौजूदगी के बावजूद सम्मेलन को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाएगा।
जोहान्सबर्ग में तैयारियां पूरी, PM मोदी का एजेंडा क्या होगा?
दक्षिण अफ्रीका इस साल जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। 22-23 नवंबर को राष्ट्रपति रामफोसा जोहान्सबर्ग के नैसरेक एक्सपो सेंटर में आधिकारिक तौर पर बैठक की अध्यक्षता करेंगे।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक आर्थिक चुनौतियों, जलवायु वित्त, ग्लोबल साउथ देशों के विकास, टेक्नोलॉजी हस्तांतरण और विश्व व्यापार को मजबूत करने जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखेंगे। भारत पिछले कुछ वर्षों में G20 के भीतर अपनी भूमिका को लगातार मजबूती से स्थापित करता रहा है, और दक्षिण अफ्रीका समिट में भी यह रुख जारी रहने की उम्मीद है।
G20 समूह में कुल 19 देश और दो रीजनल ब्लॉक शामिल हैं। इनमें शामिल हैं:
अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।
साथ ही यूरोपीय संघ (EU) और अफ्रीकन यूनियन (AU) भी इस मंच का हिस्सा हैं।
अमेरिका की गैरमौजूदगी से वैश्विक चर्चा गर्म
अमेरिका द्वारा अचानक G20 से दूरी बनाने के फैसले ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। जहां कई देश इसे अनावश्यक तनाव मान रहे हैं, वहीं कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम अमेरिकी कूटनीति की दिशा में बड़ा बदलाव दर्शाता है। इस बीच, सम्मेलन में भारत, यूरोप, गल्फ देशों और अफ्रीकी देशों की मौजूदगी इसे और अधिक महत्वपूर्ण बना रही है। दुनिया की नजर इस बात पर होगी कि बिना अमेरिका की भागीदारी के यह सम्मेलन किस दिशा में आगे बढ़ता है।