मुंबई, 17 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट एक एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया। याचिका में चुनाव आयोग से वोटिंग परसेंटेज का डेटा 48 घंटे के भीतर वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने की मांग की गई है। मामले की सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच करेगी। NGO की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण ने इस पर तुरंत सुनवाई की मांग की थी। दरअसल, पिछले हफ्ते, ADR ने अपनी 2019 जनहित याचिका में एक अंतरिम आवेदन किया था जिसमें चुनाव पैनल को निर्देश देने की मांग की गई थी कि सभी पोलिंग सेंटर्स के फॉर्म 17 C भाग- I (रिकॉर्ड किए गए वोटों का अकाउंट) की स्कैन की गई कॉपी वोटिंग के तुरंत बाद अपलोड की जाएं। NGO ने दलील दी थी कि याचिका यह तय करने के लिए दायर की गई थी ताकि चुनावी अनियमितताओं का लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर न हो।
तो वहीं, याचिका में कहा गया है कि आयोग ने पहले दो फेज का वोटिंग डेटा देर से पब्लिश किया। पहले फेज की वोटिंग के 11 दिन बाद और दूसरे फेज की वोटिंग के 4 दिन बाद यह डेटा सामने आया था। फाइनल वोटर टर्नआउट जारी करने में हुई देर और पोल पैनल के प्रेस नोट में 5% से ज्यादा के अंतर ने इसके सही होने पर चिंताएं और संदेह बढ़ा दिया है। वोटर टर्नआउट जारी न होने के साथ-साथ डाले गए वोटों के आंकड़े जारी करने में देरी के कारण वोटर्स में शुरुआती आंकड़ों और 30 अप्रैल को जारी आंकड़ों के बीच आए फर्क को लेकर आशंकाएं बढ़ गई हैं। इन्हें दूर किया जाना चाहिए। वोटर्स का भरोसा कायम रहे, इसके लिए जरूरी है कि आयोग अपनी वेबसाइट पर वोटिंग बंद होने के 48 घंटों के भीतर डाले गए वोटों का सर्टिफाइड डेटा पब्लिश करे।