मुंबई, 11 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉरीशस के दो दिन के राजकीय दौरे पर हैं। मंगलवार शाम मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने उन्हें देश के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा। इस इवेंट में पीएम मोदी ने इंडियन डायस्पोरा को संबोधित किया। उन्होंने भोजपुरी में अपने भाषण की शुरुआत की। उन्होंने कहा, 'जब 10 साल पहले आज की ही तारीख पर मैं मॉरीशस आया था, उस साल होली एक हफ्ते पहले बीती थी, तब मैं भारत से फगवा की उमंग अपने साथ लेकर आया था। अब इस बार मॉरीशस से होली के रंग अपने साथ लेकर भारत जाऊंगा। राम के हाथे-ढोलक होसे, लक्ष्मण हाथ मंजीरा, भरत के हाथ कनक पिचकारी, शत्रुघन हाथ अबीरा, जोगी रा सा रा रा रा रा।'
पीएम ने कहा कि अब होली की बात आई तो हम गुजिया की मिठास कैसे भुला सकते हैं। एक समय था जब भारत के पश्चिमी हिस्से में मिठाइओं के लिए मॉरीशस से भी चीनी आती थी। शायद यह भी एक वजह रही कि गुजराती में चीनी को मोरिस कहा गया। समय के साथ भारत और मॉरीशस के रिश्तों की यह मिठास और भी बढ़ती जा रही है। मैं जब भी मॉरीशस आता हूं तो ऐसा लगता है कि अपनों की बीच ही तो आता हूं। यहां की मिट्टी में, हवा में, पानी में अपनेपन का एहसास है। गीत गवाई में, ढोलक की थाप में, दाल पूरी में, कुच्चा में और गातो पिमा में भारत की खुशबू है, क्योंकि यहां की मिट्टी में कितने ही भारतीयों का, हमारे पूर्वजों का खून-पसीना मिला हुआ है।
पीएम ने कहा कि आपने मुझे सम्मान दिया, इसे मैं विनम्रता से स्वीकारता हूं। यह उन भारतीयों का सम्मान है जिन्होंने पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस धरती की सेवा की और मॉरीशस को इस ऊंचाई पर लेकर आए। मैं मॉरीशस के हर नागरिक और यहां की सरकार का इस सम्मान के लिए आभार व्यक्त करता हूं। पिछले साल नेशनल डे के मौके पर भारत की राष्ट्रपति मुख्य अतिथि थीं। यह वही दिन है जब महात्मा गांधी ने गुलामी के खिलाफ दांडी सत्याग्रह शुरू किया था। ये दिन दोनों देशों के आजादी के संघर्ष को याद करने का दिन है। कोई भी बैरिस्टर मणिलाल जैसे महान व्यक्तित्व को नहीं भूल सकता, जिन्होंने मॉरीशस आकर लोगों के हक की लड़ाई शुरू की थी। जब मैं आपके बीच आता हूं तो 200 साल पहले की उन बातों में भी खो जाता हूं जिनके बारे में हमने सिर्फ पढ़ा है। वो अनेक हिंदुस्तानी जो गुलामी के कालखंड में यहां झूठ बोलकर लाए गए, जिन्हें दर्द मिला, तकलीफ मिली, धोखा मिला और मुश्किलों के उस दौरे में उनका संबल थे भगवान राम। राम चरित मानस भगवान राम का संघर्ष उनकी विजय उनकी प्रेरणा, उनकी तपस्या भगवान राम में वो खुद को देखते थे, भगवान राम से उन्हें प्रेरणा मिलती थी।
पीएम ने कहा कि प्रभु राम और रामायण के लिए जो आस्था और भावना मैंने सालों पहले अनुभव की थी वही आज भी महसूस करता हूं। भावना का वही ज्वार पिछले साल जनवरी में भी दिखा जब अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ। हमारा 500 साल का इंतजार खत्म हुआ, तो जो उत्साह भारत में था वही उत्साह मॉरीशस में था। आपकी भावनाओं को समझते हुए तब मॉरीशस ने आधे दिन की छुट्टी भी घोषित की थी। मैं जानता हूं कि मॉरीशस के अनेक परिवार अभी महाकुंभ में भी होकर आए हैं। मुझे यह भी पता है कि अनेक परिवार चाहते हुए भी महाकुंभ में नहीं आ पाए। मुझे आपकी भावनाओं का ख्याल है, इसलिए मैं अपने साथ पवित्र संगम का जल लेकर आया हूं। इस पवित्र जल को कल यहां गंगा तालाब को अर्पित किया जाएगा। यह सुखद संयोग है कि आज से 50 साल पहले भी गोमुख से गंगाजल यहां लगा गया था, और उसे गंगा तालाब में अर्पित किया था। अब कुछ ऐसा ही कल फिर से होने जा रहा है। मेरी प्रार्थना है कि गंगा मैय्या के आशीर्वाद से, मॉरीशस समृद्धि की नई ऊंचाइयों को छुए।