ईरान और इजराइल के बीच इन दिनों मिसाइल युद्ध तेजी से जारी है। इस संघर्ष की शुरुआत इजराइल ने अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद से मिली जानकारी के आधार पर की, जिसमें ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने का फैसला लिया गया। इस ऑपरेशन का नाम दिया गया "रिंजिक लायन"। शुक्रवार तड़के इस ऑपरेशन के तहत इजराइल ने ईरान पर भयंकर हमला किया, जिसमें कई टॉप आर्मी ऑफिसर और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए।
ऑपरेशन रिंजिक लायन और उसकी अहमियत
इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ लंबे समय से गुप्त अभियान चलाए। इस ऑपरेशन का उद्देश्य था ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना। इस हमले को कई विशेषज्ञ भारत के ऑपरेशन सिंदूर से तुलना कर रहे हैं, जो भारत का गुप्त सैन्य अभियान माना जाता है।
रिंजिक लायन ऑपरेशन के जरिए इजराइल ने ईरान के सबसे संवेदनशील और सुरक्षित परमाणु ठिकानों में से एक नतांज ऑटोमिक बेस को निशाना बनाया। यह基地 ईरान के परमाणु कार्यक्रम का दिल माना जाता है और यहाँ पर भारी मात्रा में यूरेनियम संवर्धन की जाती है।
नतांज ऑटोमिक बेस का खतरा
नतांज ईरान के सबसे महत्वपूर्ण परमाणु केंद्रों में से एक है। यहां पर उन्नत तकनीक से यूरेनियम को संवर्धित किया जाता है, जिससे परमाणु हथियार बनाने में मदद मिलती है। इस ठिकाने की सुरक्षा अत्यंत कड़ी है, इसलिए इस पर हमला करना अपने आप में बेहद जोखिम भरा था।
इस基地 पर हमला होने से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बड़ा झटका लगा है। इससे यह साफ संकेत मिलता है कि इजराइल परमाणु हथियार बनाने की ईरान की कोशिशों को किसी भी कीमत पर रोकना चाहता है।
भारत का ऑपरेशन सिंदूर और किराना हिल्स का जिक्र
इजराइल के ऑपरेशन रिंजिक लायन को अक्सर भारत के ऑपरेशन सिंदूर से जोड़ा जाता है। ऑपरेशन सिंदूर एक गुप्त भारतीय सैन्य अभियान था, जिसके तहत भारत ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को निशाना बनाया था।
इसी तरह, पाकिस्तान के किराना हिल्स का जिक्र भी इस संदर्भ में किया जा रहा है। किराना हिल्स पाकिस्तान का प्रमुख परमाणु परीक्षण क्षेत्र है, जहां कई बार परमाणु परीक्षण किए गए हैं।
इजराइल और ईरान के बीच चल रही इस जंग में किराना हिल्स का उल्लेख इसलिए हो रहा है क्योंकि यह क्षेत्र दक्षिण एशिया में परमाणु हथियारों की बढ़ती होड़ का प्रतीक बन चुका है।
मिसाइल युद्ध और क्षेत्रीय तनाव
इजराइल ने न केवल नतांज基地 पर हमला किया, बल्कि पूरे ईरान के विभिन्न परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इससे मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ गया है।
इजराइल के इस हमले के जवाब में ईरान ने भी कई मिसाइल दागी हैं। यह दोनों देशों के बीच एक तीव्र मिसाइल युद्ध का रूप ले चुका है, जो पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गया है।
वैश्विक और भारत पर प्रभाव
इस मिसाइल युद्ध का असर सिर्फ मध्य पूर्व तक सीमित नहीं है। विश्व की अर्थव्यवस्थाएं, खासकर तेल की आपूर्ति, इस युद्ध की वजह से प्रभावित हो रही हैं। ईरान फारस की खाड़ी के माध्यम से तेल का बड़ा निर्यातक है, और युद्ध की वजह से तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है।
भारत के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है क्योंकि भारत के दोनों देशों — ईरान और इजराइल — के साथ मजबूत कूटनीतिक और आर्थिक संबंध हैं। इस संघर्ष के चलते भारत को अपने व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा पर खास ध्यान देना होगा।
निष्कर्ष
इजराइल और ईरान के बीच चल रहा ऑपरेशन रिंजिक लायन न केवल दो देशों के बीच की जंग है, बल्कि यह वैश्विक राजनीतिक और सैन्य स्थिति को भी प्रभावित कर रहा है। नतांज ऑटोमिक बेस पर हमला एक बड़ा सैन्य कदम है, जो परमाणु हथियार बनाने की दौड़ को रोकने के लिए किया गया।
इसी बीच, भारत का ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान के किराना हिल्स का जिक्र इस पूरे मसले को और भी जटिल और संवेदनशील बनाता है। यह स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में चल रही परमाणु और मिसाइल दौड़ से पूरे दक्षिण एशिया और विश्व को सावधान रहना होगा।