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पाक के पूर्व मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारत के मुसलमानों पर की टिप्पणी, सोफिया कुरैशी का नाम लेते ही मुंह हो गया बंद

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Posted On:Thursday, June 5, 2025

संयुक्त राष्ट्र में हुई एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पाकिस्तान के पूर्व मंत्री बिलावल भुट्टो को अमेरिकी पत्रकार के सवाल ने कठिन स्थिति में ला दिया। बिलावल भुट्टो, जो अक्सर भारत पर कटु टिप्पणियां करते रहे हैं, इस बार संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भारत को निशाना बनाते हुए कह रहे थे कि हालिया पहलगाम आतंकी हमले का इस्तेमाल भारत में मुसलमानों को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। लेकिन तभी वहां बैठे अमेरिकी पत्रकार अहमद फथी ने ऐसा सवाल किया, जिसने बिलावल की नीतियों और बयानबाजी पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा दिया।

प्रेस कांफ्रेंस का वह क्षण जब बिलावल चुप हो गए

बिलावल भुट्टो जब भारत की आलोचना कर रहे थे, तब पत्रकार अहमद फथी ने उनसे पूछा कि भारत की ऑपरेशन सिंदूर की कमान संभालने वाली अफसरों में से एक सोफिया कुरैशी भी थीं, जो एक मुस्लिम महिला हैं। इस सवाल ने बिलावल को पूरी तरह चुप करा दिया। सोफिया कुरैशी का नाम सुनते ही उनकी बातों में विराम आ गया और इसके बाद उन्होंने भारत के मुसलमानों को लेकर कोई बयान नहीं दिया। यह सवाल उनके लिए एक बड़ा झटका था क्योंकि इससे यह साबित हो गया कि भारत में मुसलमान भी आतंकवाद के खिलाफ सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं, जो बिलावल के दावों के विपरीत था।

कश्मीर मुद्दे पर टालमटोल की नीति

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कश्मीर मुद्दे पर बिलावल भुट्टो ने ज्यादा कुछ कहने से बचा लिया। उन्होंने कहा कि कश्मीर एक बड़ा मसला है, लेकिन फिलहाल इसे लेकर सामने आने वाली चुनौतियों से निपटना ज़रूरी है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को कश्मीर मामले में एक बड़ा झटका लगा है, और शायद इसी वजह से बिलावल ने इस मुद्दे पर ज्यादा चर्चा नहीं की। साथ ही, वहां मौजूद पत्रकारों ने भी कश्मीर पर उनसे कोई सवाल नहीं किया, जो दर्शाता है कि फिलहाल यह विषय बातचीत से दूर रखा गया।

आतंकवाद के खिलाफ सहयोग का वक्तव्य

प्रेस कांफ्रेंस में बिलावल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए अभी भी तैयार है और इस काम में भारत के साथ सहयोग करना चाहेगा। उन्होंने कहा कि 1.5 से 1.7 अरब लोगों की जिंदगियों को खतरे में नहीं डालना चाहिए और दो परमाणु संपन्न देशों के बीच युद्ध किसी के हित में नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने भारत पर ही युद्ध थोपने का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि युद्ध की ज़िम्मेदारी भारत की है।

राजनीतिक संदेश और उसके प्रभाव

बिलावल भुट्टो का यह बयान पाकिस्तान की उस पुरानी राजनीतिक रुख की पुष्टि करता है, जिसमें भारत को दोषी ठहराया जाता है, खासकर कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दे पर। हालांकि, सोफिया कुरैशी के नाम पर उठाया गया सवाल इस नारे को कमजोर करता है और यह दर्शाता है कि भारत के भीतर मुस्लिम समुदाय भी देश की सुरक्षा और विकास के लिए प्रतिबद्ध है। यह तथ्य पाकिस्तान के लिए एक चुनौती बन गया है, क्योंकि यह उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रभावित कर सकता है।

संयुक्त राष्ट्र जैसे मंच पर जारी कूटनीतिक जंग

संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंच पर पाकिस्तान और भारत की यह राजनीतिक लड़ाई किसी भी दिन कूटनीतिक तनाव को बढ़ा सकती है। बिलावल भुट्टो जैसे नेताओं के बयान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच भारत-पाकिस्तान के संबंधों को लेकर भ्रांतियां पैदा करते हैं। वहीं, पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल इन भ्रांतियों को तोड़ने का प्रयास करते हैं।

निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र में बिलावल भुट्टो की प्रेस कांफ्रेंस एक बार फिर यह साबित करती है कि भारत-पाकिस्तान संबंधों में अभी भी विश्वास और संवाद की बहुत कमी है। बिलावल का भारत को घेरने का प्रयास और अमेरिकी पत्रकार के तीखे सवाल दोनों इस जटिल राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाते हैं।

इस घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट होता है कि आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों देशों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि क्षेत्र में शांति कायम हो सके। अंततः, संवाद और सहयोग ही दोनों देशों के लिए समाधान का रास्ता हो सकता है, न कि आरोप-प्रत्यारोप और एक-दूसरे को बदनाम करने की राजनीति।


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