तमिलनाडु के रहने वाले एक व्यक्ति को पत्नी की हत्या के आरोप से सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है। आरोपी बीते 12 साल से जेल में बंद था। आरोप था कि उसने अपनी पत्नी को जला कर मार डाला। हालांकि, अदालत में पेश साक्ष्यों और महिला के विरोधाभासी बयानों के आधार पर शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला, जिससे यह साबित हो सके कि हत्या उसी ने की थी।
निचली अदालत ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा
इससे पहले निचली अदालत ने आरोपी को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आरोपी पर आरोप था कि उसने घरेलू विवाद के चलते अपनी पत्नी पर केरोसिन डालकर आग लगा दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इस फैसले को पलटते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया। सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि यदि महिला के दिए गए बयानों में विरोधाभास है, तो अन्य सबूतों पर भी गौर करना जरूरी होता है। कोर्ट ने कहा, "ऐसे मामलों में अत्यंत सतर्कता की जरूरत होती है। केवल बयान के आधार पर दोषसिद्धि नहीं की जा सकती जब तक अन्य साक्ष्य उसकी पुष्टि न करें।"
महिला के विरोधाभासी बयान बने संदेह का आधार
मृतक महिला ने दो अलग-अलग बयान दिए थे। अस्पताल में इलाज के दौरान दिए गए पहले बयान में उसने बताया कि वह खाना बनाते समय आग की चपेट में आ गई थी। लेकिन बाद में मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान में महिला ने अपने पति पर केरोसिन डालकर आग लगाने का आरोप लगाया। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि जब महिला को अस्पताल लाया गया था, तब उसके शरीर से केरोसिन की गंध नहीं आ रही थी। गवाहों और चिकित्सा रिपोर्ट की जांच के बाद यह साफ हुआ कि महिला के अंतिम बयान पर संदेह किया जा सकता है।
सिर्फ बयान नहीं, साक्ष्य भी जरूरी: सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, "मृतक के बयान का विशेष महत्व होता है, लेकिन यह देखना भी जरूरी है कि वह बयान कितना विश्वसनीय और सुसंगत है। जब बयान में विरोधाभास हो और अन्य सबूत उस आरोप की पुष्टि न करें, तो आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।" जस्टिस धूलिया ने कहा कि केवल मृत्युपूर्व बयान के आधार पर दोषसिद्धि तब हो सकती है जब वह संदेह से परे हो। इस मामले में ऐसा कोई अन्य साक्ष्य नहीं था जो यह साबित करता कि पति ने ही हत्या की। इसी आधार पर आरोपी को बरी कर दिया गया।
12 साल बाद मिली रिहाई, परिवार में खुशी का माहौल
12 साल से जेल में बंद आरोपी के बरी होते ही उसके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है। आरोपी के वकील ने कहा कि यह फैसला न्यायिक प्रणाली में भरोसा कायम करने वाला है। अब यह मामला उन मामलों में शामिल हो गया है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने साक्ष्य और तथ्यों की गहन जांच के बाद व्यक्ति को निर्दोष घोषित किया।